इंफाल/सिलचर, 17 नवंबर . मणिपुर के जिरीबाम जिले में 11 नवंबर को सुरक्षाकर्मियों के साथ मुठभेड़ में मारे गए सभी 10 ‘उग्रवादियों’ के शव पोस्टमार्टम के बाद शनिवार को असम के सिलचर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (एसएमसीएच) से हेलीकॉप्टर से चुराचांदपुर जिले में वापस लाए गए.
मणिपुर में सभी आदिवासी संगठन, जिनमें इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ), कुकी-जो परिषद और हमार छात्र संघ शामिल हैं, दावा कर रहे हैं कि सभी 10 लोग “हमार ग्राम स्वयंसेवक” हैं, जिन्हें ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए लगाया गया था.
एक आदिवासी नेता ने कहा कि आईटीएलएफ द्वारा सड़क मार्ग से शव लाने के निर्णय के बावजूद सरकार शहीदों के शवों को हेलीकॉप्टर से लाई.
मणिपुर में कुकी-जो जनजातियों के शीर्ष निकाय आईटीएलएफ ने शनिवार दोपहर एक आपातकालीन बैठक की और निर्णय लिया कि फिलहाल ‘शहीदों’ के शवों का दावा नहीं किया जाएगा, क्योंकि शवों के साथ कोई पोस्टमार्टम दस्तावेज नहीं लाए गए हैं.
हमारे ‘शहीदों’ के शव पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने तक जिला अस्पताल के मुर्दाघर में रखे जाएंगे.
जनजातीय निकाय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, “इस क्षेत्र का एक विशेषज्ञ पोस्टमार्टम दस्तावेजों के उपलब्ध होते ही उनमें किसी भी विसंगति की जांच करेगा.”
इसमें कहा गया है कि आईटीएलएफ का कानूनी प्रकोष्ठ इस संबंध में सभी कानूनी मामलों को देखेगा और “10 शहीदों” के अंतिम संस्कार कार्यक्रम की योजना बनाएगा.
सिलचर (असम) में असम पुलिस ने शनिवार को एसएमसीएच के बाहर उस समय लाठीचार्ज किया, जब मारे गए 10 ‘उग्रवादियों’ के परिवार के सदस्यों ने शवों को सौंपने की मांग को लेकर पुलिस के साथ झड़प की.
मणिपुर के जिरीबाम जिले में 11 नवंबर को सीआरपीएफ कर्मियों के साथ मुठभेड़ में मारे गए दस ‘उग्रवादियों’ के परिवार के सदस्य शवों को उन्हें सौंपने की मांग को लेकर मेडिकल कॉलेज के बाहर डेरा डाले हुए हैं.
पुलिस अधिकारियों ने शुरू में उन्हें समझाने की कोशिश की कि शवों को नियमों के अनुसार, मणिपुर पुलिस को सौंप दिया जाएगा, लेकिन परिवार के सदस्यों ने प्रस्ताव को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और पुलिसकर्मियों के साथ झड़प की तथा पथराव भी किया, जिसमें चार पत्रकारों सहित कई लोग घायल हो गए.
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एकेएस/एकेजे