नई दिल्ली, 15 नवंबर . राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ते प्रदूषण को लेकर दिल्ली सरकार ने नर्सरी से पांचवीं तक की कक्षाओं को ऑनलाइन करने का फैसला किया है. हालांकि, छठी से बारहवीं के छात्रों को स्कूल आना होगा. गवर्नमेंट स्कूल टीचर एसोसिएशन के महासचिव अजय वीर यादव ने कहा है कि बड़े बच्चों पर भी प्रदूषण का असर होता है और इसलिए उनकी भी कक्षाएं ऑनलाइन होनी चाहिए.
अजय वीर यादव ने शुक्रवार को से बात करते हुए कहा कि प्रदूषण अब त्योहारों की तरह ही एक वार्षिक चलन बन गया है. हर साल सर्दियों के मौसम में प्रदूषण बढ़ जाता है. प्रदूषण से दिल्ली में छात्र-छात्राओं से लेकर आम लोगों तक सभी प्रभावित होते हैं.
प्राथमिक विद्यालय के बच्चे, जिन्हें ऑनलाइन शिक्षा के लिए घर पर रखा गया है, वे घर पर सुरक्षित हैं, लेकिन घर के अंदर प्रदूषण मौजूद है. कोविड काल में पूरा परिवार घर पर रहा और अगर एक मोबाइल फोन होता तो सभी बच्चे उसका इस्तेमाल कर सकते थे. अब स्थिति बदल गई है क्योंकि सभी काम कर रहे हैं, इसलिए बच्चों को छह घंटे तक मोबाइल फोन नहीं मिल सकता है. वे छोटे हैं और उन्हें फोन संभालने के लिए किसी की मदद की जरूरत होती है. इसलिए, यह ऑनलाइन क्लास सिस्टम सफल नहीं होगा. यह प्रदूषण के खिलाफ सरकार का एक प्रतीकात्मक कदम है. सुर्खियां बटोरने के अलावा सरकार के इस फैसले में ज्यादा कुछ नहीं है.
उन्होंने कहा, “प्रदूषण से ऊंची कक्षाओं के बच्चे भी प्रभावित होते हैं. बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल आने वाले शिक्षक भी प्रदूषण से प्रभावित होते हैं. मैं समझता हूं कि सभी क्लासेज के लिए स्कूल बंद होने चाहिए जिससे सभी बच्चों को राहत मिल सके.”
उल्लेखनीय है कि दिल्ली में बढ़ रहे प्रदूषण को देखते हुए आज से दिल्ली सरकार ने ग्रैप-3 लागू कर दिया है. इसके बेहतर कार्यान्वयन के लिए सभी संबंधित विभागों के साथ उच्चस्तरीय बैठक की गई. दिल्ली में हो रहे निर्माण एवं विध्वंस कार्यों पर रोक लगाई गई है और बीएस-3 पेट्रोल तथा बीएस-4 डीजल के वाहनों पर रोक लगाई गई है. साथ ही पूरी दिल्ली में बड़े पैमाने पर पानी के छिड़काव करने के निर्देश दिए गए हैं.
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डीकेएम/एकेजे