बेंगलुरु, 13 नवंबर . कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बुधवार को स्पष्ट किया कि राज्य सरकार ने ठेकों में मुसलमानों को आरक्षण देने पर कोई निर्णय नहीं लिया है.
सरकारी ठेकों में मुसलमानों के लिए आरक्षण के संबंध में भाजपा की आलोचना का जवाब देते हुए सिद्धारमैया ने कहा कि जिस तरह पिछड़े वर्गों, एससी और एसटी को आरक्षण दिया जाता है, उसी तरह मुसलमानों को भी आरक्षण देने की मांग की जा रही है.
हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है.
उन्होंने कहा कि समाज में शांति और भाईचारा बढ़ाने का भाजपा का कभी भी इरादा नहीं रहा है. भाजपा का ध्यान पूरी तरह से सांप्रदायिक झगड़े पैदा करने पर है.
इस बीच ठेके देने में मुसलमानों को आरक्षण प्रदान करने की बात करते हुए गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने कहा कि, “यह एक गलत धारणा है. कुछ नेताओं और विधायकों ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन देकर एससी और एसटी को आरक्षण की तर्ज पर 4 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग की है.”
परमेश्वर ने कहा, “मुख्यमंत्री ने संबंधित विभाग को सत्यापन के लिए प्रस्ताव भेजा है और अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है. इस संबंध में निर्णय कैबिनेट में लिया जाएगा और संबंधित विभाग को इस संबंध में प्रस्ताव भेजना होगा. जब सभी प्रक्रियाएं पूरी हो जाएंगी और सरकार आदेश जारी कर देगी तब प्रस्ताव को लागू किया जाएगा. केवल प्रस्ताव प्रस्तुत करने के बाद आदेश जारी नहीं किया जाएगा.”
वक्फ विवाद पर भाजपा की आलोचना पर प्रतिक्रिया देते हुए परमेश्वर ने कहा, “यह उनकी संस्कृति को दर्शाता है. हमें तुष्टिकरण की आवश्यकता नहीं है. हमारी पार्टी हमेशा उन लोगों की मदद करती है जो वर्षों से गरीब बने हुए हैं. किसी भी सरकार का यह कर्तव्य भी है कि वह उन लोगों की मदद करे.”
उन्होंने कहा, “एससी और एसटी को आरक्षण क्यों दिया गया? अगर सरकार मुसलमानों को कुछ कार्यक्रम देती है, तो इसे तुष्टीकरण का कार्य बताना गलत है. भाजपा इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते समय शुरू से ही एक खास तरह की भाषा और शब्दों का इस्तेमाल करेगी. यह कोई नई बात नहीं है.”
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एकेएस/एबीएम