शिमला, 9 नवंबर . हिमाचल प्रदेश में इन दिनों समोसे को लेकर छिड़ी बहस के बाद से सत्तापक्ष और विपक्ष एक-दूसरे के खिलाफ आक्रामक मुद्रा में आ गए हैं.
दरअसल, 21 अक्टूबर को मुख्यमंत्री साइबर विंग के नए नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली (सीएफसीएफआरएमएस) स्टेशन का उद्घाटन करने के लिए सीआईडी मुख्यालय गए थे.
यहां उन्हें रिफ्रेशमेंट के तौर पर समोसा और केक परोसा जाना था. लेकिन, यह दोनों ही उन तक नहीं पहुंचा.
बताया जा रहा है कि समोसे और केक सीआईडी के अधिकारी खा गए, जिसे लेकर अब प्रदेश में राजनीतिक संग्राम छिड़ गया.
यही नहीं, इस प्रकरण की जांच सीआईडी को सौंप दी गई है. जांच एजेंसी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आखिर मुख्यमंत्री को परोसे जाने वाले समोसे कैसे और कब गायब हो गए.
वहीं, इस पूरे मामले को लेकर विपक्षी दल लगातार सरकार पर तंज कस रहा है.
इसी बीच, इस पर अब भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा (भाजयुमो) के अध्यक्ष तिलक राज की प्रतिक्रिया सामने आई है.
उन्होंने कहा, “यह बहुत ही दुर्भाग्य का विषय है. पूरे देश में हिमाचल का मजाक बन रहा है. कभी यह टॉयलेट पर टेक्स लगा देते हैं, तो कभी समोसे की जांच कराना शुरू कर देते हैं. यह बहुत ही दुर्भाग्य का विषय है और मैं इस पर स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि इनके मीटिंग में जितने भी मुद्दे थे, उन पर चर्चा नहीं हुई. लेकिन, समोसा इनके लिए देशव्यापी मुद्दा हो गया. इस वजह से पूरा देश आज इनका मजाक बना रहा है.”
उन्होंने आगे कहा, “सभी लोग यही कह रहे हैं कि आखिर हिमाचल की सरकार क्या कर रही है. सभी हिमाचल के लोगों का सिर शर्म से झुक गया है. दूसरे प्रदेशों में अगर कोई हिमाचल का व्यक्ति मिल रहा है, तो उसका मजाक बनाया जा रहा है. मैं इसे लेकर प्रदेश के सीएम को कहना चाहता हूं कि आप सीआईडी से जांच कराइए. लेकिन, महज अपने व्यक्तिगत कारणों के लिए मत कराइए. यह कोई जांच का विषय नहीं है. इसके बावजूद इसकी जांच करवाई जा रही है.”
उन्होंने कहा, “मैं मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से कहना चाहता हूं कि अगर आपको जांच करानी है, तो प्रदेश में बढ़ रहे नशे को लेकर कराइए. प्रदेश में हत्याएं हो रही हैं. इसकी जांच की जाए. आप कानून-व्यवस्था को दुरूस्त कीजिए. अपने व्यक्तिगत हित को लेकर जांच मत कराइए. आपने कहा था कि सत्ता में आने पर पांच लाख युवाओं को नौकरी दी जाएगी. लेकिन, आज तक किसी भी युवा को नौकरी नहीं दी गई. इनके पास पिछले दो सालों में एक भी काम गिनाने के लिए नहीं है. हम ऐसी सरकार को भला कैसे स्वीकार कर सकते हैं. इस सरकार ने कभी-भी जनता के हितों को तवज्जो नहीं दी.”
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एसएचके/जीकेटी