वाराणसी, 9 नवंबर . शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने महाराष्ट्र में फिर से एकनाथ शिंदे की सरकार बनाने पर जोर दिया है.
उन्होंने कहा, 78 साल में कई प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री हुए लेकिन, जो काम एकनाथ शिंदे ने करके दिखाया है, वह काम कोई नहीं कर पाया है. इसलिए महाराष्ट्र में फिर से उनकी सरकार लानी चाहिए. जनता को यह दिखाना चाहिए कि जो हमारी गाय माता के लिए काम करेगा, हमारे दिलों में उसके लिए प्यार और जगह है.
उन्होंने कहा कि जिन्होंने गौमाता की सेवा की है उन्हें आशीर्वाद मिलना चाहिए. शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा है कि महाकुंभ से पहले गौमाता को राष्ट्रमाता का दर्जा दिया जाना चाहिए. गौ हत्या को दंडनीय अपराध घोषित करने की जरूरत है. महाकुंभ में जाएंगे और यज्ञ करेंगे.
कुंभ में कुछ संतों ने दूसरे धर्मों के लोगों की एंट्री पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है. इस पर जब शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद से प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने कहा, मक्का-मदीना में 40 किलोमीटर दूर ही हिन्दुओं पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है. इसलिए महाकुंभ में दूसरे धर्मों का क्या काम है.
‘बटेंगे तो कटेंगे’ पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, बटेंगे तब जब हमारे अंदर से भाईचारा खत्म हो जाएगा. भाईचारा की भावना मां से आती है. इसलिए हम कह रहे हैं कि मां को मां कहना सीखो, मां को मां नहीं कहेंगे तो बंटना तय है. इसलिए जो लोग यह कह रहे हैं कि बटेंगे तो कटेंगे उन्हें तत्काल प्रभाव से गौमाता को राष्ट्र माता घोषित कर देना चाहिए. जिससे लोगों में भाईचारा बना रहे.
सरकार के लोग बटेंगे तो कटेंगे नारा दे रहे हैं, हमें इस बात से कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन, जिस कारण की वजह से हम नहीं बटेंगे वह कारण भी सरकार देखे. गाय को माता कहते हैं, गाय हमें जोड़ती है. अगला भी गाय को माता कहता है तो दूसरा भी हमारा भाई बन जाएगा. जब महाराष्ट्र की सरकार गाय को मां मान सकती है तो दूसरे प्रदेशों की सरकार क्यों नहीं कर रही है. उत्तर प्रदेश की सरकार ने बटेंगे तो कटेंगे का नारा दिया. लेकिन, गाय माता को मां कहने में देर क्यों हो रही है.
महाकुंभ से लेकर पूरे जीवन तक हमारे लिए गाय ही मुद्दा रहेगा. 78 साल इंतजार कर लिया है. अब इसे हिन्दू समाज स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है. गौमाता को राष्ट्रमाता का दर्जा दिया जाना चाहिए.
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डीकेएम/जीकेटी