इंडोनेशिया ज्वालामुखी विस्फोट के बाद इलाके से स्थानीय निवासियों को निकालने का काम शुरू

जकार्ता, 6 नवंबर . इंडोनेशिया में सोमवार को हुए नुसा तेंगारा माउंट लेवोटोबी के घातक विस्फोट की वजह से आसपास के हजारों लोगों को वहां से विस्थापित कर स्थाई रूप से कहीं और शिफ्ट किया जा सकता है. इस विस्फोट में 10 लोगों की मौत हो गई थी. यह जानकारी बुधवार को एक शीर्ष आपदा एजेंसी के अधिकारी ने दी.

देश की राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी (बीएनपीबी) के प्रमुख सुहार्यंतो ने इसके बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस स्थानांतरण का उद्देश्य भविष्य में इसी प्रकार के विस्फोटों की स्थिति में होने वाली त्रासदियों को रोकना है.

बीएनपीबी की रिपोर्ट के अनुसार, ईस्ट फ्लोरेस रीजेंसी में स्थित 1,584 मीटर ऊंचा माउंट लेवोटोबी में रविवार की देर रात विस्फोट होना शुरू हो गया, इसकी वजह से 63 लोग घायल हो गए और सैकड़ों घरों और इमारतों को नुकसान पहुंचा है.

समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, क्रेटर के सात किलोमीटर के दायरे में हजारों लोग रहते हैं, यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां मौसम विज्ञान और भूभौतिकी एजेंसी ने पीड़ितों को निकालने के कार्यों को छोड़कर सभी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया है.

प्रभावितों के बारे में जानकारी देते हुए सुहार्यंतो ने कहा, “इस विस्फोट की वजह से 2,734 परिवार प्रभावित हुए हैं. इन प्रभावितों को स्थानांतरित किया जाना चाहिए. हम अनावश्यक जोखिम नहीं उठा सकते. इस स्थानांतरण का उद्देश्य हमारे पोते-पोतियों को भविष्य में इसी तरह की आपदाओं से बचाना है.”

बीएनपीबी के एक बयान के अनुसार, इलाके के ज्यादातर निवासी, यहां से स्थानांतरित होने के लिए सहमत हो गए हैं. सुहार्यंतो ने बताया, “ज्वालामुखी को हटाया नहीं जा सकता, इसलिए लोगों को सुरक्षित क्षेत्रों में स्थानांतरित होना चाहिए.”

बता दें कि इलाके में बुधवार तक, निकाले गए लोगों की संख्या बढ़कर 4,436 हो गई है, जिनमें से कई लोग शिविरों या रिश्तेदारों के घरों में शरण लिए हुए हैं. अपनी यात्रा के दौरान, सुहार्यंतो ने निकाले गए लोगों को आश्वासन दिया कि बीएनपीबी उनकी सभी बुनियादी जरूरतों को पूरा करेगा.

गौरतलब है कि माउंट लेवोटोबी इंडोनेशिया के 127 सक्रिय ज्वालामुखियों में से एक है. प्रशांत महासागर के बीच मौजूद इस द्वीपसमूह में लगातार ज्वालामुखी और भूकंप की घटनाएं होती रहती हैं.

पीएसएम/जीकेटी