न्यूयॉर्क, 6 नवंबर . डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव जीत कर इतिहास रच दिया. उनकी जीत को भारत में काफी उम्मीदों के साथ देखा जा रहा है. ट्रंप पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि अपने प्रथम कार्यकाल में भारत के साथ बने घनिष्ठ संबंधों वह जारी रखेंगे. उन्होंने भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ‘महान साझेदारी’ को मजबूत करने का वादा किया है.
पिछले सप्ताह दिवाली की शुभकामनाओं में ट्रम्प ने कहा था, “मेरे प्रशासन के तहत, हम भारत और मेरे अच्छे मित्र प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपनी महान साझेदारी को मजबूत करेंगे.”
हालांकि ट्रंप का भारत से परिचय चुनाव मैदान में उतरने से पहले 2015 में ही हो गया था. भारत में उनकी रुचि थी. वह पुणे और मुंबई में परियोजनाओं में शामिल थे. इससे उन्हें भारत के बारे में यथार्थवादी जानकारी मिली, जो अन्य अमेरिकी राजनेताओं को सरकारी, राजनयिक और कार्यकर्ता स्रोतों से मिलने वाली जानकारी से अलग थी.
भारत की व्यावसायिक यात्रा के दौरान उन्होंने कहा, “पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत के बारे में धारणा बदल गई है. उम्मीदें वापस आ रही हैं.”
उन्होंने पीएम मोदी को ‘एकता लाने वाला, लोगों को एक साथ लाने वाला’ कहा.
राष्ट्रपति के रूप में, ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ एक रिश्ता बनाया. उन्होंने बार-बार पीएम मोदी को अपना ‘दोस्त’ बताया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार दोपहर को अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में जीत के लिए डोनाल्ड ट्रंप को बधाई दी और उन्हें दोस्त कहकर पुकारा.
पीएम मोदी ने कहा, “मेरे मित्र डोनाल्ड ट्रंप को ऐतिहासिक चुनावी जीत पर हार्दिक बधाई. आपके पिछले कार्यकाल की सफलताओं की तरह ही, मैं भारत-अमेरिका की व्यापक वैश्विक और रणनीतिक साझेदारी को और मज़बूत करने के लिए हमारे सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक हूं. आइए मिलकर अपने लोगों के कल्याण, वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए काम करें.”
ट्रंप ने भारत के महत्व को बहुत जल्द समझ लिया. जनवरी 2017 में 45वें अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के छह महीने के भीतर व्हाइट हाउस में उन्होंने पीएम मोदी की मेजबानी की थी.
2020 के चुनाव से पहले, दोनों नेताओं ने ह्यूस्टन रैली, ‘हाउडी मोदी’ प्रोगाम और अहमदाबाद क्रिकेट स्टेडियम में ‘नमस्ते ट्रंप’ कार्यक्रम में अपनी दोस्ती का परिचय दिया. अहमदाबाद के प्रोग्राम में 100,000 से ज़्यादा लोगों ने हिस्सा लिया.
ट्रंप ने कहा कि वह भारत और अमेरिका दोनों जगहों पर पीएम मोदी की भीड़ खींचने की क्षमता से प्रभावित हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में, उन्होंने नई दिल्ली के साथ संबंधों को और आगे बढ़ाया, चीन के खिलाफ अमेरिकी भू-राजनीतिक रणनीति में भारत को एक मज़बूत गढ़ के रूप में स्थापित किया. उन्होंने क्वाड (4 स्टेट ग्रुप जिसमें भारत और अमेरिका के अलावा जापान और ऑस्ट्रेलिया भी शामिल हैं) को पुनर्जीवित किया.
ट्रंप ने प्रतीकात्मक रूप से अमेरिकी सेना के पैसिफिक कमान का नाम बदलकर ‘इंडो-पैसिफिक कमांड’ कर दिया, जो भारत के प्रति लगाव को दर्शाता है.
इस साल के अपने एक चुनावी भाषण में ट्रंप ने पीएम मोदी को ‘सबसे अच्छा इंसान’ कहा था.
हालांकि भारत के साथ गहरे रिश्तों के बावजूद कुछ मुद्दों पर ट्रंप का रुख नई दिल्ली के खिलाफ भी जाता है. पिछले कार्यकाल के दौरान, ट्रंप ने भारत से कुछ इंपोर्ट्स के लिए ‘सामान्यीकृत वरीयता योजना’ की रियायतों को रद्द कर दिया.
हाल ही में अपने चुनावी भाषण में उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत उन देशों में से है जो अमेरिका का फायदा उठाते हैं और व्यापार में ‘बहुत बड़ा दुरुपयोग’ करते हैं.
ट्रंप ने इंपोर्ट पर कड़े टैरिफ लगाने की धमकी दी है, खास तौर पर अन्य देशों द्वारा लगाए गए उच्च टैरिफ के जवाब के रूप में. ट्रंप अगर ऐसा करते हैं तो यह भारत को प्रभावित कर सकता है. हालांकि जियो-पॉलिटिक्स और सप्लाई चेन की वास्तविकताएं ट्रंप को भारत के प्रति अपने रुख को नरम करने के लिए मजबूर कर सकती हैं.
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एमके/