महिला विरोधी टिप्पणी से झारखंड में कांग्रेस पर गहराया संकट

जैसे-जैसे झारखंड विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक दलों के बीच चुनावी सरगर्मी बढ़ती जा रही है. ऐसे माहौल में कांग्रेस नेता इरफान अंसारी की एक आपत्तिजनक टिप्पणी ने झारखंड की राजनीति में नया भूचाल खड़ा कर दिया है. इरफान अंसारी ने सीएम हेमंत सोरेन की भाभी और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की विधायक सीता सोरेन को लेकर ऐसी बात कही, जिससे राज्यभर की महिलाओं, खासकर आदिवासी समाज में गुस्से की लहर दौड़ गई है.

24 अक्टूबर 2024 को नामांकन दाखिल करने के बाद अंसारी ने सीता सोरेन के खिलाफ ऐसी अभद्र भाषा का प्रयोग किया, जिसने महिलाओं के प्रति कांग्रेस की मानसिकता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं. यह मुद्दा केवल एक राजनीतिक विवाद नहीं है, बल्कि यह महिलाओं के सम्मान से जुड़ा एक बड़ा सवाल बन गया है.

सीता सोरेन का दर्द और INDIA गठबंधन की खामोशी

सीता सोरेन ने इरफान अंसारी की इस टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए अपना दर्द साझा किया और आंखों में आंसू भरकर कहा, “अगर आज मेरे पति जीवित होते, तो वे इस अपमान को सहन नहीं करते.” उन्होंने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब इरफान अंसारी ने उनके खिलाफ इस तरह की भाषा का प्रयोग किया हो, लेकिन इस बार उन्होंने सारी सीमाएं लांघ दी हैं.

सीता सोरेन ने इस मामले में हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन की खामोशी पर भी सवाल उठाए हैं. सीता का कहना है कि एक आदिवासी महिला के प्रति ऐसा व्यवहार न केवल अस्वीकार्य है, बल्कि समाज के सामने एक गलत संदेश भी दे रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर कांग्रेस और JMM को वास्तव में महिलाओं का सम्मान करना है, तो उन्हें अंसारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी होगी.

भाजपा ने कांग्रेस और JMM पर साधा निशाना, ‘भाभी का सम्मान नहीं तो बहनों की सुरक्षा कैसे?’

भाजपा ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाते हुए कांग्रेस और हेमंत सोरेन की पार्टी पर तीखे हमले किए हैं. भाजपा का कहना है कि हेमंत सोरेन ने अपनी भाभी के अपमान पर चुप्पी साध रखी है, और यह उनकी प्राथमिकताओं पर सवाल उठाता है.

भाजपा के झारखंड चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान ने कहा, “जो व्यक्ति अपनी भाभी का सम्मान नहीं कर सकता, वह झारखंड की बहन-बेटियों का क्या सम्मान करेगा?” हिमंत बिस्वा शर्मा ने इसे कांग्रेस की दोहरी मानसिकता का उदाहरण बताते हुए कहा, “जो मोहब्बत की दुकान चलाने का दावा करते हैं, वे ही रोज महिलाओं का अपमान कर रहे हैं.”

भाजपा के इन बयानों ने कांग्रेस के नारी सशक्तिकरण के दावों की पोल खोल दी है. भाजपा का कहना है कि अगर कांग्रेस महिलाओं के अधिकारों की बात करती है, तो उसे अपने नेताओं के बयानों पर ध्यान देना चाहिए.

अंसारी के खिलाफ बढ़ते दबाव के बाद कांग्रेस की सफाई

बढ़ते विवाद के बीच, कांग्रेस ने इस मामले पर अपनी सफाई देते हुए कहा है कि पार्टी किसी भी प्रकार की महिला विरोधी टिप्पणी का समर्थन नहीं करती है. अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष अलका लांबा ने बयान जारी कर कहा, “कांग्रेस इस तरह के विवादित बयानों को स्वीकार नहीं करती. इरफान अंसारी के बयान की पार्टी द्वारा निंदा की जाती है और आदर्श आचार संहिता का पालन करते हुए इस पर उचित कार्रवाई की जाएगी.”

हालांकि, राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि कांग्रेस की यह प्रतिक्रिया चुनावी दबाव में दी गई है और इसमें वास्तविकता का अभाव है. पार्टी पर सवाल उठते हैं कि ऐसी घटनाओं पर पहले ही कार्रवाई क्यों नहीं की जाती.

कांग्रेस के इतिहास में महिला विरोधी बयान: बार-बार सामने आई पार्टी की असलियत

कांग्रेस में यह पहली बार नहीं है जब किसी नेता ने महिलाओं के प्रति असम्मानजनक टिप्पणी की हो. इससे पहले भी पार्टी के कई नेताओं ने महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक बयान दिए हैं, जिससे यह साफ होता है कि पार्टी में महिलाओं के सम्मान के प्रति गंभीरता की कमी है.

  • राहुल गांधी: भारत जोड़ो यात्रा के दौरान ऐश्वर्या राय को नाचते हुए दिखाने की बात कहकर विवाद में फंसे.
  • दिग्विजय सिंह: मीनाक्षी नटराजन को “100 टका टंच माल” कहकर महिलाओं का अपमान किया.
  • शीला दीक्षित: लड़कियों के कपड़ों पर टिप्पणी करते हुए विवादित बयान दिया.
  • संजय निरुपम: टीवी बहस में स्मृति ईरानी पर आपत्तिजनक टिप्पणी की.

इन बयानों ने कांग्रेस के महिलाओं के प्रति रवैये को संदेहास्पद बना दिया है. यह स्पष्ट है कि पार्टी को अपनी सोच में बदलाव की आवश्यकता है.

INDIA गठबंधन की चुप्पी और झारखंड में जनता का गुस्सा

इस पूरे विवाद पर INDIA गठबंधन के अन्य दलों की चुप्पी ने भी जनता के बीच असंतोष पैदा कर दिया है. लोगों का कहना है कि जब महिलाओं के सम्मान की बात आती है, तो सभी नेताओं को मिलकर कड़ी प्रतिक्रिया देनी चाहिए. लेकिन इस मामले में INDIA गठबंधन के बड़े-बड़े नेता खामोश हैं, जिससे जनता में निराशा बढ़ रही है.

निष्कर्ष: कांग्रेस को महिलाओं के प्रति सोच में बदलाव की जरूरत

कांग्रेस और उसके नेताओं को यह समझना होगा कि महिलाओं के सम्मान और उनके अधिकारों की सुरक्षा महज एक चुनावी मुद्दा नहीं है. यह समाज की प्रगति और समानता का सवाल है. अगर कांग्रेस सचमुच महिला सशक्तिकरण की बात करती है, तो उसे अपने नेताओं को इस तरह की टिप्पणियों से दूर रखना चाहिए और सही दिशा में सुधारात्मक कदम उठाने चाहिए. अन्यथा, ऐसी घटनाएं पार्टी की छवि को लगातार नुकसान पहुंचाएंगी.

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