छठ पर्व का स्थानीय कारीगरों के लिए आर्थिक दृष्टि से भी है महत्‍व

बिहार शरीफ (नालंदा), 5 नवंबर . बिहार में इन दिनों छठ महापर्व की धूम है. बिहार के नालंदा जिले में बिहार शरीफ में पूरा वातावरण भक्ति से सराबोर हो गया है. घर-घर में छठ माई के गीत गूंज रहे हैं और साथ ही भगवान भास्कर की प्रतिमाएं भी आकार ले रही हैं. यहां के प्रसिद्ध कारीगर सुरेंद्र पंडित, पिछले एक दशक से सूर्यदेव की प्रतिमाओं का निर्माण कर, इस पर्व की रौनक को और बढ़ा रहे हैं.

जिले में भगवान भास्‍कर की प्रतिमाएं बनाने वाले कारीगर इन दिनों खूब प्रतिमाओं का निर्माण कर पैसे कमा रहे हैं. स्थानीय कारीगर सुरेंद्र पंडित बताते है, “पहले तो कुछ ही जगहों पर सूर्य भगवान की मूर्ति स्थापित की जाती थी, लेकिन अब कई जगहों पर धूमधाम से पूजा-अर्चना होती है. उनके हाथों में कलाकारी की जो नुमाइश दिखती है, वो पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है.”

उन्होंने कहा, “यह हमारा खानदानी पेशा है. पहले मेरे पिताजी यह काम करते थे, अब मैं और मेरा बेटा इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं. एक मूर्ति तैयार करने में करीब तीन हज़ार रुपये की लागत आती है और एक से दो हज़ार का लाभ होता है.”

सुरेंद्र पंडित के पुत्र, छोटू पंडित भी अपने पिता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सूर्य भगवान की मूर्तियों का निर्माण कार्य संभाल रहे हैं. उन्होंने बताया, “अभी हम सूर्य भगवान की मूर्ति बना रहे हैं और अपने पिता जी से मैं इस कला को सीख रहा हूं. हम अभी मूर्तियों की पेंटिंग कर रहे हैं. बाजार में इसकी अच्छी मांग है.”

इसके बाद छोटू पंडित ने प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई विश्वकर्मा योजना की भी सराहना की और बताया कि वे जल्द ही इसका फॉर्म भरेंगे.

बता दे कि मंगलवार को नहाय-खाय के साथ छठ पर्व की शुरुआत हो गई. प्रदेश के लोगों में इसकी धूम है. स्थानीय कारीगरों के लिए छठ आर्थिक दृष्टि से साल के सबसे बड़े पर्वों में से एक होता है. इस त्योहार में हजारों मूर्तियां बिक जाती हैं.

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