नई दिल्ली, 1 नवंबर . रक्षा विभाग ने स्वच्छता संबंधी अपने सभी तय लक्ष्यों में 100 प्रतिशत कामयाबी हासिल की है. इस अभियान में कार्यस्थल पर उत्पादकता बढ़ाने के लिए स्वच्छता और दक्षता को लक्षित किया गया. यह वह लक्ष्य हैं, जो विशेष अभियान 4.0 के अंतर्गत तय किए गए थे. विभाग ने सेवा से बाहर हो चुके उपकरणों का निपटान किया और 25.68 लाख रुपये अर्जित किए. इस तरह से 2.66 लाख वर्ग फुट जगह भी खाली हो गई है.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक इस अभियान के अंतर्गत सांसदों एवं महत्वपूर्ण व्यक्तियों समेत 169 जन शिकायतों का समाधान किया गया. इसके अतिरिक्त, 10 जटिल प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया. 45,870 फाइलों की समीक्षा की गई और उनमें से 12,186 को हटा दिया गया. यह अभियान दो चरणों में संचालित किया गया था. पहला तैयारी चरण 15 से 30 सितंबर था और दूसरा कार्यान्वयन चरण 2 से 31 अक्टूबर था.
इस महत्वपूर्ण अभियान में 3,832 स्थानों पर व्यापक जन-केंद्रित सहभागिता हुई थी, जिसमें रक्षा विभाग के तहत विभिन्न संगठन शामिल हुए थे. मुख्य रूप से इस अभियान में रक्षा लेखा महानियंत्रक, सीमा सड़क संगठन, सैन्य अस्पताल, राष्ट्रीय कैडेट कोर महानिदेशालय, भारतीय तटरक्षक बल, सैनिक स्कूल, कैंटीन स्टोर विभाग, नेहरू पर्वतारोहण संस्थान, उत्तरकाशी और हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के साथ ही छावनियों ने भाग लिया.
रक्षा विभाग ने मच्छरों के प्रजनन वाले स्थलों को खत्म करने के प्रयासों और अपशिष्ट पृथक्करण के लिए जागरूकता कार्यशालाओं की स्थापना के साथ पर्यावरणीय जिम्मेदारी के अनुरूप कई नवीन कार्य प्रणालियों को लागू किया. इसके अलावा, कचरा संवेदनशील बिंदुओं (जीवीपी) को पौधरोपण स्थलों में बदल दिया गया है और पार्कों में सूखी पत्तियों के लिए खाद बनाने की सुविधाएं स्थापित की गईं.
रक्षा मंत्रालय ने बताया कि पहाड़ी क्षेत्र में दार्जिलिंग के एचएम इंस्टीट्यूट ने प्रतिदिन 1,000 लीटर अपशिष्ट जल का उपचार करने की क्षमता वाला संयंत्र स्थापित किया. यह पानी का पुनर्चक्रण करता है, जो पानी 3,65,000 लीटर वार्षिक इस्तेमाल को बढ़ावा देता है. 1.8 लाख लीटर की क्षमता के साथ, वर्षा जल संचयन किया गया, जो बाहरी जल स्रोतों पर निर्भरता कम करती है. इससे समस्याग्रस्त हिस्सों में जल संरक्षण में सहायता मिलती है.
हिमालय पर्वतारोहण संस्थान ने कलात्मक अभिव्यक्ति के साथ स्थिरता का मिश्रण करते हुए क्षतिग्रस्त पर्वतारोहण गियर को सजावटी सामानों में बदल दिया. इस अभियान के अंतर्गत अमरावती नगर के सैनिक स्कूल में पुनर्निर्मित बैरल से बने रीसाइक्लिंग डिब्बे को रंगीन कलाकृतियों के साथ फिर से चित्रित किया गया. इसे परिसर के चारों ओर प्रमुख स्थानों पर रखा गया. इस पहल से स्कूल के मैदान के आसपास कूड़े में उल्लेखनीय रूप से कमी आई. अब, ‘सुशासन सप्ताह-2024’ के दौरान इन टिकाऊ कार्य प्रणालियों को प्रदर्शित करने की योजना बनाई गई है.
–
जीसीबी/एबीएम