सोल, 31 अक्टूबर . संयुक्त राष्ट्र में दक्षिण कोरिया के शीर्ष राजदूत ने उत्तर कोरिया द्वारा रूस में अपने सैनिकों की तैनाती की आलोचना की. उन्होंने कहा कि वे केवल ‘मोर्चा सैनिक’ के रूप में इस्तेमाल होंगे, जबकि उनका वेतन उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन की जेब में जाएगा.
राजदूत ह्वांग जून-कुक ने बुधवार को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के सत्र में यह टिप्पणी की.
समाचार एजेंसी योनहाप की रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण कोरिया ने इस बात की पुष्टि की है कि उत्तर कोरिया के कुछ सैनिकों को यूक्रेन से लगी सीमा के पास रूस के पश्चिमी क्षेत्र में भेजा गया है.
उन्होंने कहा, “उत्तर कोरिया के सैनिकों को रूस में भेजा जा रहा है, जहां वे सिर्फ ‘मोर्चा सैनिक’ के रूप में इस्तेमाल होंगे. उनका वेतन उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन की जेब में जाएगा. प्योंगयांग द्वारा अपने युवा सैनिकों और लोगों के साथ किए गए व्यवहार को कभी माफ नहीं किया जाएगा.”
ह्वांग ने कहा कि उत्तर कोरिया के रूस भेजने से जुड़ी कोई भी गतिविधि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के कई प्रस्तावों का स्पष्ट उल्लंघन है. मॉस्को को प्योंगयांग की ओर से मिल रहा अभूतपूर्व सैन्य समर्थन यूरेशियन महाद्वीप के दोनों ओर भू-राजनीति की गतिशीलता को बदल देगा.
दक्षिण कोरिया के आधिकारिक नाम का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने कहा कि कोरिया गणराज्य अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सहयोग से गैरकानूनी तरीके से रूस-डीपीआरके सैन्य सहयोग का जवाब देगा और आगे के घटनाक्रम के अनुरूप कदम उठाएगा.
दरअसल डीपीआरके उत्तर कोरिया का आधिकारिक नाम है, उसे डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया के नाम से जाना जाता है.
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका के उप राजदूत रॉबर्ट वुड ने भी सेना की तैनाती को लेकर उत्तर कोरिया की आलोचना की. उन्होंने कहा कि अगर युद्ध के मैदान में उत्तर कोरियाई सैनिकों का इस्तेमाल किया जाता है तो इससे संघर्ष बढ़ने का खतरा बढ़ेगा.
उन्होंने कहा, “उत्तर कोरियाई सैनिकों को तैनात करने का निर्णय यह साबित करेगा कि रूस हताश है. खासकर जब उन्हें पहले ही 5 लाख से अधिक हताहतों का सामना करना पड़ा है.”
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एफएम/एबीएम