बर्लिन, 29 अक्टूबर . जर्मन-ईरानी नागरिक जमशेद शरमाहद की फांसी के बाद जर्मनी ने ईरान से अपने राजदूत को वापस बुला लिया और मंगलवार को बर्लिन में शीर्ष ईरानी दूत को तलब किया.
69 वर्षीय इस व्यक्ति को पिछले वर्ष ईरान में दोषी ठहराए जाने के बाद सोमवार को फांसी दे दी गई.
जर्मन विदेश मंत्री अन्नालेना बैरबॉक ने राजदूत को वापस बुलाने का आदेश देते हुए कहा कि जर्मनी इस फांसी की “कड़े शब्दों में निंदा करता है.”
बेयरबॉक ने एक्स पर लिखा, “मैं ईरानी शासन द्वारा जमशेद शरमाहद की हत्या की निंदा करता हूं. दुबई से ईरान ले जाए जाने के बाद उन्हें कई सालों तक बिना किसी निष्पक्ष सुनवाई के बंधक बनाकर रखा गया, आज उनकी हत्या कर दी गई. इस क्षति के लिए मेरी गहरी संवेदना उसके परिवार के प्रति है.”
बेयरबॉक ने उल्लेख किया कि जर्मनी ने शरमाहद के बचाव में “अथक” प्रयास किया था.
जर्मन विदेश मंत्रालय की उच्च स्तरीय टीम को कई बार तेहरान भेजा गया था और ईरानी अधिकारियों को चेताया गया था, ” जर्मन नागरिक को फांसी दिए जाने के गंभीर परिणाम होंगे.”
उन्होंने कहा, “जमशेद शरमाहद की हत्या से ईरान में अमानवीय शासन की प्रकृति का पता चलता है, जो अपने युवाओं और विदेशी नागरिकों को मौत की सजा देता है. नई सरकार के तहत भी ईरान में कोई भी सुरक्षित नहीं है.”
जर्मनी के विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की है कि बर्लिन में ईरानी राजदूत को मंगलवार को तलब किया गया.
मंत्रालय ने बताया कि तेहरान में जर्मनी के राजदूत ने ईरान के विदेश मंत्री के समक्ष आधिकारिक विरोध दर्ज कराया है और परामर्श के लिए उन्हें बर्लिन वापस बुलाया गया है.
इससे पहले जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज ने भी फांसी की निंदा की, इसे “घोटाला” बताया और शरमाहद के परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की.
स्कोल्ज ने कहा कि , “जमशेद शरमाहद को मुकदमे के दौरान अपना बचाव करने का अवसर भी नहीं दिया गया.”
ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी कोर्ट ने 2008 में शिराज में एक मस्जिद पर हुए हमले में कथित संलिप्तता के आरोप में शरमाहद को फरवरी 2023 में मौत की सजा सुनाई थी. इस हमले में 14 लोग मारे गए थे.
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एकेएस/