पश्चिम बंगाल : घाटल में सड़कें जलमग्न, गहराई बाढ़ की आशंका

कोलकाता, 28 अक्टूबर . पश्चिम बंगाल के घाटल में हवाओं के प्रभाव से भारी बारिश के चलते बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है. हर नदी का जलस्तर बढ़ रहा है और कई गांवों और शहर के वार्डों में जलजमाव की समस्या पैदा हो गई है. सड़कें जलमग्न हो चुकी हैं.

प्रशासन के अनुसार, क्षीरपाई में शिलावती नदी का पानी खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है. चंद्रकोना-1 प्रखंड में दो स्थानों पर शिलावती नदी का बांध टूट गया है, जिससे कई गांवों में पानी प्रवेश कर रहा है.

चंद्रकोना-1 प्रखंड में राहत शिविर खोला गया है. घाटल के अनुमंडल शासक सुमन विश्वास ने बताया कि प्रशासन स्थिति पर नजर रखे हुए है. केवल बारिश के कारण ही बाढ़ का खतरा नहीं है; पश्चिम मेदिनीपुर जिले के पश्चिमी हिस्से और बांकुड़ा और पुरुलिया जिलों में भी यह खतरा है.

शुक्रवार को ‘दाना’ के प्रभाव से भारी बारिश के बाद शनिवार दोपहर से घाटल उप-विभाग में बाढ़ की स्थिति बिगड़ने लगी है.

घाटल शहर के 17 वार्डों में से 12 में पानी प्रवेश कर गया है. कई सड़कें जलमग्न हो गई हैं और घाटल ब्लॉक के छह पंचायत क्षेत्रों में भी बाढ़ आ गई है. सितंबर में चंद्रकोना-1 ब्लॉक के हीराधरपुर और भवानीपुर में नदी के तटबंध टूटने से जलभराव हुआ था. सिंचाई मंत्री के निर्देशानुसार, सिंचाई विभाग ने उसी बांध का मरम्मत कार्य शुरू कर दिया है.

वहीं, शनिवार रात को हीराधरपुर और भवानीपुर में शिलावती बांध फिर से टूट गया, जिससे कई गांवों में बाढ़ का पानी घुसने लगा. इसके कारण उस क्षेत्र में चावल की खेती को भारी नुकसान हुआ है.

शनिवार दोपहर को घाटल प्रखंड के मनशुका में बांस की बाड़ टूटने के कारण स्थानीय लोगों को झूमी नदी पार करने में परेशानी हो रही है.

हालांकि, घाटल में कंसावती और रूपनारायण नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से काफी नीचे है.

प्रशासन के अनुसार, अगर बारिश नहीं होती है, तो बाढ़ को लेकर चिंता की कोई बात नहीं होगी. उम्मीद है कि सभी नदियों का जलस्तर कम होना शुरू हो जाएगा.

घाटल के एसडीओ सुमन बिस्वास ने कहा, “हाल ही में ‘दाना’ के प्रभाव से दो दिनों तक हुई भारी बारिश ने घाटल ब्लॉक, कटा नगर पालिका और आसपास के क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति पैदा कर दी है. इस बारिश के कारण नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ गया है, जिससे कृषि पर गंभीर प्रभाव पड़ा है. किसानों की धान की फसल पूरी तरह से नष्ट हो गई है. कई खेतों में पानी भर जाने से फसलें बर्बाद हो गई हैं, और जो धान की फसल पहले से तैयार थी, वह भी प्रभावित हुई है.”

उन्होंने आगे कहा, “अब स्थिति यह है कि किसान अपनी फसलों की कटाई नहीं कर पा रहे हैं. इसके अलावा, जो खेती की समयसीमा थी, वह भी अब प्रभावित हो चुकी है. किसान समय पर फसल नहीं काट पाएंगे, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर और भी बुरा असर पड़ेगा. बाढ़ के कारण खेती में इस्तेमाल होने वाले संसाधनों की कमी और फसल की बर्बादी से स्थानीय कृषि पर गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है.”

एसएचके/एकेजे