झारखंड : आत्मनिर्भर बन रही पलामू की महिलाएं, ‘लखपति दीदी’ योजना से हुईं सशक्त

पलामू, 26 अक्टूबर . केंद्र सरकार ग्रामीण महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है, जिसके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं इन योजनाओं से जुड़कर खुद और अपने परिवार को आगे बढ़ा रही हैं. इन्हीं योजनाओं में से एक प्रमुख योजना है ‘लखपति दीदी’. इस योजना का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना और उन्हें स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना है.

पलामू जिले के ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को इस योजना से सामूहिक रूप से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, ताकि वे अपनी मेहनत और कौशल का बेहतर उपयोग कर सकें. इस योजना के तहत कई महिलाएं अपना छोटा-मोटा कारोबार शुरू कर सफल उद्यमी बन रही हैं. पलामू के एक छोटे से गांव चैनपुर की रहने वाली सुमन पाठक ने ‘लखपति दीदी’ योजना के तहत प्रशिक्षण प्राप्त किया. अब वह अपने गांव की अग्रणी महिला उद्यमी बन गई हैं.

गृहिणी सुमन पाठक ने को बताया कि मोदी सरकार की लखपति दीदी योजना से सभी बहनों के घर खुशहाली आई है. इससे क्षेत्र में रोजगार का सृजन हो रहा है. अब हम छह लाख रुपये तक का लोन लेकर रोजगार कर रहे हैं. इस पैसे का इस्तेमाल हम खास तौर पर खेती और पशुपालन में कर रहे हैं. मुनाफा होने के बाद हम इस पैसे को ब्याज सहित चुका भी रहे हैं. इस योजना के शुरू होने के बाद सभी बहनों की आर्थिक स्थिति भी सुधरी है.

उन्होंने कहा कि जब ऐसी योजनाएं नहीं थीं, तो महिलाएं घर से बाहर निकलने में भी हिचकिचाती थीं, बैंक जाने में भी हिचकिचाती थीं. जब समूह बनाकर बहनों को प्रशिक्षित किया गया, तो उन्हें सभी योजनाओं का लाभ समझ में आया. सभी बहनों को समझ में आया कि योजनाओं का लाभ लेकर और रोजगार करके कैसे आर्थिक रूप से मजबूत हुआ जा सकता है. यह योजना महिलाओं को सशक्त और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए वरदान साबित हुई है.

इसी तरह शारदा देवी ने किराना दुकान के व्यवसाय में कदम रखा और अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाते हुए आज वह सालाना एक लाख रुपये से अधिक की आय अर्जित कर रही हैं. शारदा देवी कहती हैं कि इस योजना ने उनकी जिंदगी बदल दी है और उनमें आत्मसम्मान की भावना जगाई है.

उन्होंने को बताया कि पहले इस कारोबार में पूंजी की कमी के कारण 10 रुपये भी नहीं बचते थे. अब चूंकि हम योजनाओं के तहत कम ब्याज पर लोन लेकर अपनी दुकान चला रहे हैं, तो बचत भी होने लगी है. दुकान को बढ़ाने के लिए जरूरत के हिसाब से लोन भी ले रहे हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि जब भी हमें पैसे की जरूरत होती है तो समूह से कम ब्याज पर पैसे मिल जाते हैं. हमें दूसरों के सामने गिड़गिड़ाना नहीं पड़ता. पहले हमारी छोटी सी दुकान थी. इन योजनाओं के तहत हमने अपनी दुकान बड़ी की है.

आरके/एकेजे