बाजारों में बढ़ी रंग-बिरंगे मिट्टी के दीयों की मांग, प्रजापति समाज ने बयां किया अपना दर्द

चरखी-दादरी, 24 अक्टूबर . दीपावली के पर्व को देखते हुए बाजारों में पारंपरिक वस्तुएं दिखने लगी हैं. इनमें मिट्टी के दीये मुख्य आकर्षण हैं. मिट्टी के दीयों के आगे चाइनीज लड़ियों की चमक फीकी पड़ गई है. इस बार दिवाली पर्व से कुम्हारों को अच्छे कारोबार की उम्मीद है, इसीलिए कुम्हारों के चाक की गति भी बढ़ गई है. बाजारों में जहां मिट्टी के बर्तनों की मांग बढ़ गई है, वहीं चाइनीज सामान और फैंसी आइटम के कारण मिट्टी के दीयों की बिक्री प्रभावित हो रही है. कारीगरों ने सरकार से पटाखों की तर्ज पर चाइनीज आइटमों की बिक्री पर रोक लगाने की मांग की है.

हरियाणा के चरखी-दादरी के मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कारीगर बिट्टू प्रजापति ने कहा कि सरकार ने पटाखों पर रोक लगाकर अच्छा काम किया है. इससे प्रदूषण काफी हद तक कम होगा. उन्होंने सरकार से चाइनीज लड़ियों की बिक्री पर रोक लगाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि इसके बजाय सरकार को मिट्टी के बर्तनों और दीयों की बिक्री को बढ़ावा देना चाहिए. इससे मिट्टी के उपकरण बेचने वाले गरीब लोगों को कुछ मुनाफा मिलेगा. ताकि वे भी दिवाली अच्छे तरीके से मना सकें.

उन्होंने कहा कि सरकार को प्रदूषण और लोगों के स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए और स्वदेशी चीजों को अपनाने का आह्वान करना चाहिए. सरकार को समाज में मिट्टी के बर्तनों और दीयों के प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिए ताकि प्रजापति समाज अच्छे तरीके से दिवाली मना सके.

उल्लेखनीय है कि दिवाली का त्योहार नजदीक आते ही कुम्हारों ने अपने चाकों की गति बढ़ा दी है और तेजी से दीये बनाने का काम शुरू कर दिया है. मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हार उम्मीद के साथ दिन-रात काम में जुट गए हैं. वहीं, बाजारों में बिक रहे चाइनीज सामान और फैंसी आइटमों के कारण मिट्टी के दीयों और अन्य सामानों की बिक्री भी प्रभावित हो रही है.

हालांकि, पिछले सालों की तुलना में इस बार लोग रंग-बिरंगे मिट्टी के दीयों की मांग कर रहे हैं. बाजारों में पारंपरिक चीजें दिखने लगी हैं. इस बार दीयों के अलावा गमले और पानी वाले दीये भी आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं.

आरके/जीकेटी