महाकुंभ 2025 : तीर्थराज प्रयागराज बन रहा देश की आस्था का केंद्र

प्रयागराज, 23 अक्टूबर . महाकुंभ-2025 को दुनिया का सबसे भव्य सांस्कृतिक आयोजन बनाने जा रही योगी सरकार ने प्रयागराज के घाट पर अपने सबसे कुशल अफसरों को तैनात किया है. सरकार की धर्म-कर्म को लेकर स्पष्ट नीति के परिणामस्वरूप देश के कोने-कोने से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया है. यहां तक कि विदेश से भी लोग अपनी सात-सात पीढ़ियों को मोक्ष दिलाने के लिए संगम नगरी पहुंचने लगे हैं.

योगी सरकार का अधिकारियों को सख्त निर्देश है कि बाहर से बड़ी संख्या में प्रयागराज आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की समस्या ना आने पाए. महाकुंभ को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह है. आस्था और विश्वास को लेकर प्रतिदिन उमड़ते लोगों के मद्देनजर तीर्थराज प्रयाग एक तरह से देश का धार्मिक केंद्र बनता जा रहा है.

प्रयागराज में संगम घाट के पुरोहित पंडित महेंद्र नाथ शर्मा ने बताया कि महाकुंभ से पहले ही देश-विदेश से अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए आने वाले अप्रवासियों की संख्या अचानक बढ़ने लगी है. यहां बड़ी संख्या में लोग अपनी सात-आठ पीढ़ियों को मुक्ति दिलाने के लिए कर्मकांड करने आ रहे हैं. इसके अलावा भारत के बाहर से भी बड़ी संख्या में ऐसे लोग आते हैं, जिन्हें इतनी लंबी पीढ़ियों की जानकारी नहीं होती. प्रयागराज के घाट पर मौजूद पुरोहित उन्हें इस तरह की लिखित जानकारी भी उपलब्ध करा रहे हैं.

प्रयागराज के प्रसिद्ध प्रयागवाल सुब्रह्मण्यम शास्त्री उर्फ चारी जी के अनुसार, योगी सरकार के रात-दिन चल रहे नवनिर्माण को देखकर स्थानीय लोगों के साथ-साथ अप्रवासियों में भी जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है. प्रयागराज के घाट पर ब्राह्मण, पुरोहित और पंडा के पास आने वाले लोगों की लंबी कतार लगने लगी है.

महाकुंभ की तैयारियों के मद्देनजर उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के कोने-कोने से श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया है. आंध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना के अलावा कई राज्यों से हजारों लोगों का अनुष्ठान प्रयागराज के पुरोहित प्रतिदिन करा रहे हैं. इनके अलावा अमेरिका, कनाडा, मॉरीशस, ऑस्ट्रेलिया, रूस में भी रहने वाले भारतीय मां गंगा को प्रणाम करने आने लगे हैं. इनमें बड़ी संख्या में लोग अपने पूर्वजों की अस्थियां भी लेकर आ रहे हैं.

संगम के तट पर धार्मिक कार्यों के कुशल प्रबंधन के लिए पूरा टीम वर्क किया जा रहा है. इसी तरह की जिम्मेदारी देख रहे पंकज पांडे बताते हैं कि यहां आने वाले लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए अनुष्ठान करते हैं. ब्राह्मणों को दान देते हैं, जिससे यहां बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी उपलब्ध हो रहा है.

ऐसी मान्यता है कि इक्ष्वाकुवंशीय राजा भगीरथ ने कड़ी तपस्या से गंगा को पृथ्वी पर अवतरित किया. जिसके बाद कपिल मुनि के श्राप से भस्म साठ हजार सागरपुत्रों को मुक्ति दिलाई. मां गंगा को पृथ्वी पर लाने का श्रेय भगीरथ को ही है. इनके नाम पर ही माता को भागीरथी भी कहा गया है.

एसके/एबीएम