मध्य प्रदेश के उपचुनाव में भाजपा के लिए अपनों की चुनौती

भोपाल 23 अक्टूबर . मध्य प्रदेश में दो विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव होने वाले हैं. भारतीय जनता पार्टी दोनों स्थानों के लिए उम्मीदवार घोषित कर चुकी है मगर पार्टी के लिए अब अपने ही चुनौती बनने लगे हैं. बुधनी विधानसभा क्षेत्र में तो पार्टी के उम्मीदवार रमाकांत भार्गव का विरोध भी शुरू हो गया है.

राज्य की दो विधानसभा क्षेत्र सीहोर जिले की बुधनी और श्योपुर जिले की विजयपुर सीट पर 13 नवंबर को मतदान होना है. भाजपा ने बुधनी विधानसभा क्षेत्र के लिए रमाकांत भार्गव और विजयपुर के लिए वन मंत्री रामनिवास रावत को उम्मीदवार बनाया है. दोनों उम्मीदवारों ने प्रचार अभियान तेज कर दिया है. पार्टी की और से नियुक्त किए गए विधानसभा क्षेत्रवार प्रभारी और सह प्रभारी ने क्षेत्र के नेताओं से संवाद शुरू कर दिया है.

बुधनी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा उम्मीदवार रमाकांत भार्गव का विरोध शुरू हो गया है. इसी क्रम में पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह राजपूत, जिन्होंने वर्ष 2005 में शिवराज सिंह चौहान के लिए बुधनी सीट छोड़ी थी, वह खुले तौर पर मैदान में आ गए हैं. भैरूदा में तो मंगलवार को राजपूत के समर्थकों ने एक बैठक तक कर डाली. इस बैठक में पहुंचे पूर्व मंत्री रामपाल सिंह की मौजूदगी में कार्यकर्ताओं ने पार्टी की ओर से तय किए गए उम्मीदवार को लेकर विरोध दर्ज कराया. उम्मीदवार बदलने तक की मांग की. रामपाल ने समझाया तो कार्यकर्ताओं ने उनकी एक नहीं सुनी. परिणामस्वरूप रामपाल को खाली हाथ लौटना पड़ा.

इससे पहले केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के निवास पर उम्मीदवार रमाकांत भार्गव सहित बुधनी क्षेत्र के नेताओं की बैठक बुलाई गई. इस बैठक में भी राजपूत नहीं पहुंचे थे. कुल मिलाकर राजपूत और उनके समर्थकों के तेवर आक्रामक हैं और यही स्थिति पार्टी के लिए चिंता का विषय बनी हुई है. दूसरी और कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए रामनिवास रावत को पार्टी ने विजयपुर से उम्मीदवार बनाया है. रावत के खिलाफ भी पार्टी के कई नेता हैं और वे चुनाव प्रचार करने को तैयार नहीं हैं.

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य में भाजपा की सरकार है और उपचुनाव ज्यादा मुश्किल भरे नहीं होते हैं, फिर भी पार्टी के भीतर असंतोष और विरोध मुसीबत तो खड़ा कर ही सकता है. बुधनी में जातीय समीकरण भाजपा के लिए चुनौती बन सकता है तो वहीं विजयपुर में कभी भाजपा में रहे मुकेश मल्होत्रा मुसीबत बन सकते हैं. आदिवासी मतदाताओं की संख्या को देखते हुए कांग्रेस ने उन्हें उम्मीदवार बनाया है. कुल मिलाकर दोनों उपचुनाव रोचक होने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता.

एसएनपी/एएस