वित्त वर्ष 2025 में भारत की वार्षिक जीडीपी 7 से 7.2 प्रतिशत के बीच बढ़ने का अनुमान: डेलॉइट

नई दिल्ली, 23 अक्टूबर . वित्त वर्ष 2024-2025 में भारत की वार्षिक जीडीपी वृद्धि 7 से 7.2 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है. डेलॉइट की एक लेटेस्ट रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है.

भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्वानुमान के अनुरूप वित्त वर्ष 2025 में देश की वास्तविक जीडीपी वृद्धि 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है.

डेलॉइट इंडिया की डॉ. रुमकी मजूमदार ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था चुनावी अवधि के बाद लचीलेपन के साथ उभर रही है.

‘भारत का आर्थिक परिदृश्य, अक्टूबर 2024’ में उन्होंने कहा, “अप्रैल से जून तिमाही में भारत का सकल घरेलू उत्पाद सालाना आधार पर 6.7 प्रतिशत बढ़ा है. हालांकि यह पांच तिमाहियों में सबसे धीमी दर थी, लेकिन भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. डेलॉइट के मुताबिक आने वाले वर्ष में भी स्थिति ऐसी ही बने रहने की संभावना है.”

अनुमान है कि मुद्रास्फीति में कमी और अनुकूल मानसून के बाद विशेषकर ग्रामीण भारत में कृषि उत्पादन में सुधार से उपभोक्ता खर्च में वृद्धि होगी. उपभोक्ता खर्च में वृद्धि होने के साथ विकास में तेजी आने की संभावना है.

रिपोर्ट में कहा गया है, “भारत को उच्च पूंजी प्रवाह से लाभ हो सकता है. दीर्घकालिक निवेश और रोजगार के अवसरों के रूप में इसका फायदा मिल सकता है, क्योंकि दुनिया भर की बहुराष्ट्रीय कंपनियां परिचालन लागत को और कम करने की कोशिश कर रही हैं.”

सरकार युवाओं की रोजगार क्षमता में सुधार लाने और विनिर्माण को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जो आर्थिक विकास के लिए बेहतर माहौल पैदा करता है.

देश वित्त वर्ष 2027-2028 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है. इससे मैनुफैक्चरिंग और उभरते उद्योगों का विस्तार हो रहा है. क्लीन एनर्जी के विकल्प की ओर आगे बढ़ते हुए उम्मीद है कि उच्च गुणवत्ता, औपचारिक और ग्रीन जॉब्स क्रिएट होंगी.

डेलॉइट इंडिया के निदेशक और अर्थशास्त्री डॉ. मजूमदार ने कहा, “इससे कई भारतीय राज्यों को मदद मिलेगी जो तेजी से विकास करने की आकांक्षा रखते हैं, क्योंकि वे भारत के जनसांख्यिकीय लाभ का फायदा उठाने के लिए पहले से ही इन क्षेत्रों में निवेश कर रहे हैं. इसके बाद, श्रम बाजार में सुधार भविष्य के सर्वेक्षणों में दिखाई देगा.”

ग्रामीण उपभोग व्यय में उछाल मुद्रास्फीति में कमी के कारण आ रहा है. इसके अलावा, वर्षा और खरीफ फसलों का अब तक का सबसे अधिक उत्पादन और स्टॉक इस साल मजबूत कृषि उत्पादन की ओर इशारा करता है, जिससे ग्रामीण मांग में और वृद्धि हुई है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि त्योहारी महीनों और उसके बाद भी खर्च में इसका असर देखने को मिल सकता है. विनिर्माण क्षेत्र की क्षमता उपयोग दर 76.4 प्रतिशत के सर्वकालिक उच्च स्तर पर है, जो दर्शाता है कि इस क्षेत्र में निजी निवेश में तेजी आएगी. पूंजीगत व्यय में वृद्धि से भी निवेश में तेजी आएगी.

डॉ. मजूमदार ने कहा, “हमें उम्मीद है कि भारत की जीडीपी वित्त वर्ष 2024 से 2025 में 7 प्रतिशत से 7.2 प्रतिशत के बीच बढ़ेगी, इसके बाद वित्त वर्ष 2025 से 2026 में 6.5 प्रतिशत से 6.8 प्रतिशत के बीच बढ़ेगी”

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