हिंदू धर्म और इसके अनुयायियों को लेकर अक्सर विवाद छिड़ते रहते हैं, चाहे वह भारत हो या फिर विदेश. खासकर अमेरिका जैसे पश्चिमी देशों में हिंदू धर्म पर अक्सर सवाल उठाए जाते हैं, और उसे “मूर्तिपूजक” या “पश्चिमी मूल्यों के खिलाफ” करार दिया जाता है. ऐसी ही एक घटना हाल ही में सामने आई जब भारतीय मूल के अमेरिकी राजनेता और रिपब्लिकन पार्टी से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार विवेक रामास्वामी ने एक अमेरिकी नागरिक द्वारा हिंदू धर्म के खिलाफ की गई टिप्पणियों का करारा जवाब दिया. रामास्वामी ने बड़ी ही शांति और दृढ़ता से न केवल हिंदू धर्म का बचाव किया बल्कि पूरी दुनिया को सहिष्णुता और विविधता का संदेश भी दिया.
विवेक रामास्वामी का हिंदू धर्म के प्रति विरोधी टिप्पणियों पर जवाब
अमेरिका के जॉर्जिया राज्य से सीनेट का चुनाव लड़ रहे विवेक रामास्वामी का नाम इन दिनों खूब चर्चा में है. हाल ही में हुई एक बहस के दौरान, रामास्वामी से हिंदू धर्म को लेकर एक तीखी टिप्पणी की गई, जिसमें हिंदू धर्म को “मूर्तिपूजक” और “दुष्ट धर्म” बताया गया. इस पर रामास्वामी ने न केवल इस तरह के विचारों की कड़ी निंदा की, बल्कि सवाल उठाया कि “हर बार हिंदू धर्म ही निशाने पर क्यों?”
यह घटना केवल एक व्यक्तिगत प्रतिक्रिया तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसने अमेरिका में रहने वाले हिंदू समुदाय और अन्य गैर-अब्राहमी धर्मों के अनुयायियों के बीच धार्मिक असहिष्णुता पर चल रही बहस को और तेज कर दिया. रामास्वामी की यह प्रतिक्रिया एक बड़ी सच्चाई को उजागर करती है—कि किस प्रकार हिंदू धर्म, जो अपनी सहिष्णुता और समावेशी दृष्टिकोण के लिए जाना जाता है, अक्सर पश्चिमी समाजों में कट्टरपंथी समूहों द्वारा निशाना बनाया जाता है.
हिंदू धर्म को लेकर अमेरिका में बढ़ती असहिष्णुता
पिछले कुछ दशकों से, अमेरिका में कुछ कट्टरपंथी समूह विशेष रूप से गैर-अब्राहमी धर्मों, खासकर हिंदू धर्म को लेकर नकारात्मक दृष्टिकोण रखते रहे हैं. ये समूह हिंदू धर्म को “मूर्तिपूजक” और अमेरिकी मूल्यों के खिलाफ मानते हैं. यह असहिष्णुता समय-समय पर उभरकर सामने आती रही है, और इसका प्रभाव केवल सांस्कृतिक या धार्मिक स्तर तक सीमित नहीं रहता, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण को भी प्रभावित करता है.
विवेक रामास्वामी जैसे प्रमुख हिंदू नेताओं को लगातार इस तरह की असहिष्णुता का सामना करना पड़ता है. लेकिन इसके बावजूद, हिंदू धर्म की शिक्षाओं के अनुरूप, रामास्वामी ने आक्रामकता का जवाब आक्रामकता से देने की बजाय शांतिपूर्ण ढंग से अपने धर्म का बचाव किया. उन्होंने बातचीत को विवाद की ओर नहीं ले जाकर सहिष्णुता और संवाद का रास्ता अपनाया.
लेबर डे वीकेंड पर रामास्वामी के धर्म पर सवाल
हाल ही में लेबर डे वीकेंड के दौरान न्यू हैम्पशायर में रामास्वामी से उनके धर्म को लेकर सवाल किया गया था. एक मतदाता ने हिंदू धर्म को लेकर संदेह जाहिर किया और उससे जुड़ी विभिन्न धारणाओं पर चर्चा की. रामास्वामी ने इस सवाल का उत्तर देते हुए कहा, “मैं हिंदू हूं और मुझे इस पर गर्व है.” उन्होंने धार्मिक स्वतंत्रता के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि अमेरिका एक ऐसा देश है जहां हर धर्म को सम्मान मिलना चाहिए, और हिंदू धर्म भी इसी सम्मान का हकदार है.
रामास्वामी ने यह भी कहा कि हिंदू धर्म की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह सभी धर्मों को साथ लेकर चलने की बात करता है. उन्होंने उदाहरण दिया कि हिंदू धर्म में यीशु मसीह को ईश्वर के पुत्र के रूप में स्वीकारा जाता है, जो धर्म की समावेशी दृष्टि का प्रतीक है. इसके बावजूद, हिंदुओं को लगातार कई देशों में निशाना बनाया जाता रहा है, चाहे वह भारत हो या फिर अमेरिका.
कट्टरपंथियों को करारा जवाब
विवेक रामास्वामी का यह सवाल कि “हर बार हिंदू धर्म ही क्यों निशाने पर होता है?” केवल एक सवाल नहीं था, बल्कि यह दुनिया के सामने एक बड़ा मुद्दा उजागर करता है. आज के समय में धार्मिक असहिष्णुता का शिकार अक्सर हिंदू धर्म और उसके अनुयायी बनते हैं. यह खासकर तब देखा जाता है जब हिंदू धर्म की सहिष्णुता और शांति की शिक्षा की तुलना अन्य धर्मों की प्रतिक्रिया से की जाती है.
रामास्वामी ने इस मौके का इस्तेमाल कट्टरपंथी समूहों को संदेश देने के लिए किया कि हिंदू धर्म अपने शांतिपूर्ण दृष्टिकोण और सहिष्णुता से कट्टरपंथी विचारों को हराने में सक्षम है.
विवेक रामास्वामी: एक सफल भारतीय-अमेरिकी नेता
विवेक रामास्वामी का नाम अमेरिका में उस समय चर्चा में आया जब 2020 के जॉर्जिया चुनाव में उन्हें अवैध रूप से हस्तक्षेप करने का आरोपी ठहराया गया. इस घटना ने उन्हें राजनीति में आने का फैसला करने के लिए प्रेरित किया. रामास्वामी ने रिपब्लिकन पार्टी से चुनाव लड़ने का फैसला किया और अब वह सीनेट का चुनाव लड़ रहे हैं. उन्होंने अपने चुनावी अभियान के लिए 280 हजार डॉलर से अधिक की धनराशि जुटाई है, जिससे उनके समर्थन का अंदाजा लगाया जा सकता है.
रामास्वामी का शैक्षिक और पेशेवर करियर भी काफी प्रभावशाली रहा है. उन्होंने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में बी.एस. की डिग्री प्राप्त की और फिर जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी लॉ सेंटर से जे.डी. की डिग्री हासिल की. इसके बाद, उन्होंने साइबरसिक्योरिटी और इंफ्रास्ट्रक्चर सिक्योरिटी एजेंसी (CISA) में नौकरी की, जिसे उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए छोड़ दिया.
निष्कर्ष: धार्मिक असहिष्णुता पर बढ़ती बहस
विवेक रामास्वामी का हिंदू धर्म पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों का शांतिपूर्ण और सशक्त जवाब देना यह दर्शाता है कि हिंदू धर्म की सहिष्णुता और इसकी समावेशी दृष्टि इसे दुनिया के अन्य धर्मों से अलग बनाती है. चाहे भारत हो या अमेरिका, हिंदू धर्म पर हमले नई बात नहीं हैं, लेकिन इसका शांतिपूर्ण प्रतिरोध ही इसकी सबसे बड़ी ताकत है. रामास्वामी का यह रुख कट्टरपंथियों के मुंह पर एक तमाचा है और एक उदाहरण है कि कैसे अहिंसात्मक रूप से अपने धर्म का बचाव किया जा सकता है.