झारखंड के चुनावी मैदान में परिवारवाद, कोई भी पार्टी नहीं अपवाद

रांची, 21 अक्टूबर . झारखंड में विधानसभा के चुनावी मैदान में वंश-विरासत, रिश्तेदारी-नातेदारी की फसल एक बार फिर लहलहा उठी है. कोई भी पार्टी और गठबंधन इस मामले में अपवाद नहीं है. टिकटों के बंटवारे में पार्टी और विचारों के प्रति समर्पण, निष्ठा, जनसंपर्क और जमीनी संघर्ष के पैमानों के ऊपर परिवारवाद का फैक्टर इस बार भी भारी पड़ रहा है.

राज्य की 81 में से 77 सीटों पर एनडीए के उम्मीदवारों के नाम सामने आ चुके हैं. इंडिया ब्लॉक की पार्टियों ने आधिकारिक तौर पर फिलहाल प्रत्याशियों की सूची सार्वजनिक नहीं की है, लेकिन चुनाव मैदान में उतरने वाले कई चेहरों के नाम साफ हो चुके हैं. इन नामों और चेहरों पर गौर करें तो राज्य की तकरीबन 50 फीसदी सीटें ऐसी हैं, जहां किसी न किसी राजनीतिक परिवार-विरासत वाले लोग मैदान में उतर रहे हैं.

राज्य के मौजूदा सत्तारूढ़ गठबंधन की अगुआ पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा से शिबू सोरेन की विरासत संभालने वाले सीएम हेमंत सोरेन साहिबगंज की बरहेट सीट, उनकी पत्नी कल्पना सोरेन गिरिडीह जिले की गांडेय सीट और भाई बसंत सोरेन दुमका सीट से उतरेंगे. हेमंत सोरेन की बड़ी भाभी सीता सोरेन को भाजपा ने जामताड़ा सीट से उतारा है. वह पूर्व में अपने दिवंगत विधायक पति दुर्गा सोरेन की परंपरागत जामा सीट से तीन बार विधायक चुनी गई थीं.

पिछले लोकसभा चुनाव में उन्होंने सोरेन परिवार से नाता तोड़ा तो भाजपा ने उन्हें सिर-आंखों पर बिठाते हुए दुमका सीट से सीटिंग सांसद सुनील सोरेन का टिकट काटकर प्रत्याशी बनाया था. शिकारीपाड़ा विधानसभा सीट से कई टर्म विधायक रहे झामुमो के नलिन सोरेन दुमका के सांसद बन चुके हैं तो खाली हुई विधानसभा सीट पर उनके पुत्र आलोक सोरेन को प्रत्याशी बनाया जाना तय है. इसी तरह मनोहरपुर से झामुमो की विधायक और सरकार में मंत्री रही जोबा मांझी अब सांसद हैं तो यहां विधानसभा चुनाव में उनके पुत्र जगत मांझी को उम्मीदवार बनाए जाने की तैयारी है.

लिट्टीपाड़ा विधानसभा सीट से कई बार विधायक रहे साइमन मरांडी के निधन के बाद पार्टी ने पिछले ही चुनाव में उनके पुत्र दिनेश विलियम मरांडी को प्रत्याशी बनाया था और वह जीतकर विधानसभा भी पहुंचे थे. उन्हें फिर से टिकट मिलना तय है. इसी तरह ईचागढ़ सीट पर झामुमो के कद्दावर नेता एवं पूर्व डिप्टी सीएम सुधीर महतो के निधन के बाद पार्टी ने उनकी पत्नी सविता महतो को विधानसभा में प्रतिनिधित्व का मौका दिया. इस बार वह या उनकी पुत्री स्नेहा महतो मैदान में होंगी.

डुमरी सीट पर पूर्व मंत्री जगरनाथ महतो के निधन के बाद उनकी पत्नी बेबी देवी को पार्टी ने उनकी सियासी विरासत संभालने के लिए आगे किया. वह विधायक चुनी गईं और उन्हें मंत्री भी बनाया गया. इस सीट पर वह या उनके पुत्र राजू महतो की उम्मीदवारी तय है. मधुपुर सीट पर भी पूर्व मंत्री हाजी हुसैन अंसारी के निधन के बाद उनके पुत्र हफीजुल हसन को उतारा गया. विधायक चुने जाने के बाद वह मंत्री हैं और फिर से इस सीट पर लड़ेंगे. तमाड़ से विकास मुंडा को पार्टी फिर से प्रत्याशी बनाएगी. वह पूर्व मंत्री रमेश सिंह मुंडा के पुत्र हैं. इस सीट पर विकास मुंडा के भाई राजकुमार मुंडा को झारखंड पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है.

भाजपा ने राज्य के पूर्व सीएम और ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास की बहू पूर्णिमा दास साहू को जमशेदपुर पूर्वी से उतारा है, जबकि वह इसके पहले राजनीति में कभी सक्रिय नहीं रहीं. पोटका सीट पर पूर्व सीएम और केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा को प्रत्याशी बनाया गया है. सरायकेला में पूर्व सीएम चंपई सोरेन उतारे गए हैं तो बगल की सीट घाटशिला में उनके पुत्र बाबूलाल सोरेन को पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है.

जगन्नाथपुर सीट पर पूर्व सीएम मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा भाजपा की उम्मीदवार बनाई गई हैं. बड़कागांव सीट पर भाजपा ने गिरिडीह से आजसू (एनडीए) के सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी के भाई रोशनलाल चौधरी को उतारा है, तो बाघमारा सीट के विधायक रहे ढुल्लू महतो के सांसद चुने जाने के बाद उनके भाई शत्रुघ्न महतो को प्रत्याशी बनाया गया है. सिंदरी सीट पर मौजूदा भाजपा विधायक इंद्रजीत सिंह गंभीर रूप से अस्वस्थ हैं तो उनकी जगह पार्टी ने उनकी पत्नी तारा देवी को मैदान में उतार दिया है.

सिमरिया सीट पर भाजपा के दिवंगत पूर्व विधायक उपेंद्रनाथ दास के पुत्र उज्जवल दास को टिकट दिया गया है. झरिया से पूर्व भाजपा विधायक संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह को पार्टी ने दूसरी बार प्रत्याशी बनाया है. गोड्डा सीट से भाजपा के दिवंगत विधायक रघुनंदन मंडल के पुत्र अमित मंडल पर एक बार फिर उतारा गया है. सिसई से उम्मीदवार बनाए गए डॉ. अरुण उरांव भी राजनीतिक विरासत वाले परिवार से आते हैं. उनके पिता बंदी उरांव बिहार सरकार में मंत्री रहे थे, जबकि उनके ससुर कार्तिक उरांव लोहरदगा से सांसद रह चुके थे. उनकी पत्नी गीताश्री उरांव भी सिसई सीट से कांग्रेस की विधायक रह चुकी हैं.

आजसू पार्टी ने रामगढ़ सीट से सुनीता देवी को फिर से प्रत्याशी बनाया है, जो गिरिडीह के सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी की पत्नी हैं. इस पार्टी की ओर से लोहरदगा से प्रत्याशी बनाई गईं नीरू शांति भगत पूर्व विधायक दिवंगत कमल किशोर भगत की पत्नी हैं. झारखंड पार्टी के प्रमुख एनोस एक्का ने सिमडेगा से अपनी बेटी आयरिन एक्का और कोलेबिरा से पुत्र संदेश एक्का को उम्मीदवार बनाया है.

कांग्रेस के पूर्व सांसद फुरकान अंसारी के बेटे इरफान अंसारी जामताड़ा से विधायक और सरकार में मंत्री हैं. वह फिर से मैदान में होंगे. महगामा से विधायक दीपिका पांडेय सिंह को फिर से टिकट मिलना तय है. उनके ससुर अवध बिहारी सिंह इस सीट से विधायक और बिहार सरकार में मंत्री रहे हैं. बड़कागांव से पूर्व विधायक योगेंद्र साव की पुत्री अंबा प्रसाद पिछली बार विधायक चुनी गई थीं और फिर से मैदान में उतरेंगी. इस बार उनकी छोटी बहन अनुप्रिया भी बगल की हजारीबाग सीट से टिकट की दावेदार हैं.

एसएनसी/एबीएम