आइजोल, 20 अक्टूबर . मिजोरम का आइजोल शहर अगले नौ महीनों में रेलवे नेटवर्क में आने वाला पूर्वोत्तर का चौथा राजधानी शहर होगा. पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) सैरांग तक 51.38 किलोमीटर लंबी नई ब्रॉड गेज पटरी बिछा रहा है.
मिजोरम सरकार के शीर्ष अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी साझा की है.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एनएफआर के महाप्रबंधक अरुण कुमार चौधरी ने राज्य के मुख्यमंत्री लालदुहोमा के साथ एक बैठक के दौरान बताया कि भैरबी (असम के हैलाकांडी जिले के पास) और सैरांग (आइजोल के पास) के बीच 51.38 किलोमीटर की नई लाइन अगले साल जुलाई तक पूरी होने की उम्मीद है.
एनएफआर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 8,213.72 करोड़ रुपये की बैराबी-सैरांग रेलवे परियोजना अब उन्नत चरण में है.
असम का मुख्य शहर गुवाहाटी (राजधानी दिसपुर से सटा हुआ), त्रिपुरा की राजधानी अगरतला और अरुणाचल प्रदेश का नाहरलागुन (राजधानी शहर ईटानगर से सटा हुआ) कई वर्षों से रेलवे नेटवर्क पर हैं.
एनएफआर के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) कपिंजल किशोर शर्मा ने कहा कि बैराबी-सैरांग परियोजना पूरी होने के बाद मिजोरम के लोगों के लिए संचार और वाणिज्य के मामले में एक बड़ा बदलाव लाने वाला उपक्रम साबित होगा.
उन्होंने कहा कि आर्थिक और पर्यावरण अनुकूल रेलवे सेवाओं का राज्य के लगभग सभी विकास कार्यों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
सीपीआरओ ने को बताया,”बैराबी-सैरांग रेलवे परियोजना के 93 प्रतिशत से अधिक भौतिक कार्य पूरे हो चुके हैं. 51.38 किलोमीटर लंबे मार्ग में चार स्टेशन हैं – होरटोकी, कावनपुई, मुआलखांग और सैरंग. बैराबी और सैरांग रेलवे परियोजना को चार खंडों में विभाजित किया गया है – बैराबी-होर्टोकी, होर्टोकी-कावनपुई, कावनपुई-मुआलखांग, और मुआलखांग-सैरांग.”
शर्मा ने कहा कि 17.38 किलोमीटर लंबा भैरबी-होरटोकी खंड पूरा हो चुका है और जुलाई में चालू हो गया था तथा अगस्त से इस पर रेल सेवा चालू हो गई है.
रेलवे परियोजना में दुर्गम इलाकों में 48 सुरंगें शामिल हैं. सुरंगों की कुल लंबाई 12,853 मीटर है, जिसमें से 12,807 मीटर सुरंग निर्माण का काम पहले ही पूरा हो चुका है.
इस परियोजना में कुल 55 बड़े पुल और 87 छोटे पुल होंगे. सैरंग स्टेशन के पास परियोजना के सबसे ऊंचे खंभे का निर्माण कार्य भी पूरा हो चुका है.
इस घाट की ऊंचाई 104 मीटर है – जो कुतुब मीनार से 42 मीटर अधिक है. इस परियोजना में पांच रोड ओवर ब्रिज और छह रोड अंडर ब्रिज भी शामिल हैं.
एनएफआर के प्रवक्ता ने कहा कि इस परियोजना के क्रियान्वयन में कई चुनौतियां हैं. जैसे बहुत भारी और लंबे (पांच महीने से अधिक) मानसून के कारण बहुत कम कार्य मौसम, घने जंगलों के बीच बहुत कठिन और पहाड़ी इलाका, खराब पहुंच, मिजोरम में निर्माण सामग्री और कुशल श्रमिकों की अनुपलब्धता. हालांकि, एनएफआर परियोजना को जल्द पूरा करने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है
मिजोरम सरकार के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बैराबी-सैरांग रेलवे परियोजना एक ‘राष्ट्रीय परियोजना’ है, जो एक बार पूरी हो जाने पर न केवल मिजोरम के लिए, बल्कि राष्ट्र के लिए एक कीमती धरोहर साबित होगी.
उन्होंने कहा कि बैराबी से सैरांग तक नई रेलवे लाइन को राष्ट्रीय परियोजना के रूप में 2,384.34 करोड़ रुपये की प्रारंभिक लागत पर 2008-2009 में केंद्र सरकार द्वारा मंजूरी दी गई थी.
परियोजना पर काम 2015 में शुरू हुआ.
पिछले साल 23 अगस्त को बैराबी-सैरांग रेलवे परियोजना के एक निर्माणाधीन रेलवे पुल के ढह जाने से 24 श्रमिकों की मौत हो गई. उस समय कुरुंग नदी पर रेलवे पुल का निर्माण चल रहा था.
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एकेएस/