नई दिल्ली, 19 अक्टूबर . इजरायल के ‘दुश्मन नंबर वन’ याह्या सिनवार की हत्या को प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के लिए एक उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है. हालांकि, हमास लीडर की हत्या उनकी मुश्किलों को और बढ़ाने वाली साबित हो सकती हैं. खास तौर से उन पर जंग को खत्म करने का दवाब बढ़ सकता है.
एक साल के संघर्ष से इजरायल थक चुका है. गाजा में लड़ाई जारी है और 101 बंधक घर नही लौटे हैं. ऐसा माना जाता है कि ये बंधक अभी भी गाजा में है. बता दें 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर हमास के हमलों में करीब 1200 लोग मारे गए थे और 250 से अधिक लोगों को बंदी बना लिया गया था. इजरायल ने इस हमले का रणनीतिकार सिनवार को बताया था.
इस बीच यहूदी राष्ट्र ने लेबनान में हिजबुल्लाह के साथ लड़ाई शुरू कर दी. यमन के हूती से लेकर ईरान तक इजरायल के खिलाफ न सिर्फ हिजबुल्लाह और हमास का समर्थन कर रहे हैं बल्कि सैनिक कार्रवाइयों को भी अंजाम दे रहे हैं.
नेतन्याहू ने खुद सिनवार की मौत को लेबनान और यमन तक फैले संघर्ष के ‘अंत की शुरुआत’ बताया. उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर हमास अपने हथियार डाल दे और गाजा में बंधक बनाए गए 101 इजरायली और विदेशी लोगों को वापस कर दे तो यह संघर्ष खत्म हो सकता है.
वहीं दूसरी तरफ हमास ने यह साफ कर दिया है कि उनकी लड़ाई तब तक खत्म नहीं होगी जब कि गाजा पट्टी पर हमले जारी है. इसके साथ ही फिलिस्तीनी ग्रुप ने यह भी कहा कि बंधकों की वापसी भी तभी संभव होगी जब फिलिस्तीनी क्षेत्रों से इजरायली सेना हटेगी.
वरिष्ठ हमास नेता खलील अल-हय्या ने एक वीडियो मैसेज में कहा, “हमास अपने नेताओं के खात्मे के साथ और भी मजबूत और लोकप्रिय होता जा रहा है. लोगों को खोना तकलीफ पहुंचाता है, खास तौर पर याह्या सिनवार जैसे अनोखे नेता को, लेकिन हमें यकीन है कि अंत में हम जीतेंगे.”
इजरायली मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक अल-हय्या ने कहा कि गाजा में बंधक बनाए गए लोगों को तब तक रिहा नहीं किया जाएगा जब तक कि हमले बंद नहीं हो जाते और इजरायली सेना फिलिस्तीनी क्षेत्र से वापस नहीं चली जाती.
इजरायल के वित्त मंत्री बेजालेल स्मोत्रिच समेत नेतन्याहू के कुछ कट्टरपंथी राजनीतिक सहयोगी इस बात पर जोर दे रहे हैं कि इजरायल को हमास के ‘पूर्ण सरेंडर’ तक नहीं रुकना चाहिए.
नेतन्याहू और इजरायल का बड़ा तबका इस राय का रहा है कि शांति प्राप्त करने का एकमात्र तरीका अपने दुश्मनों को हराना है, भले ही इसके लिए उनके सहयोगियों को नाराज करना पड़े.
नेतन्याहू ने बंधकों के परिवारों और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन सहित विश्व नेताओं के दबाव का महीनों तक विरोध किया और युद्ध जारी रखा. सिनवार सहित हमास और हिजबुल्लाह के कई नेताओं की मौत को कई लोगों ने अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे झुकने से इजरायल के इनकार के रूप में देखा.
हालांकि इजरायल में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ रही है जो यह मानते हैं कि लड़ाई को लंबा खींचने का अब कोई कारण नहीं.
रॉयटर्स के मुताबिक येरुशलम निवासी एरेज गोल्डमैन ने, “मुझे लगता है कि नेतन्याहू ने कल रात सही बात कही. हमें बंधकों को दे दो, और जब सभी – बंधक – वापस आ जाएंगे, तो हम चले जाएंगे.”
हालांकि हमास लीडर की मौत से युद्ध खत्म हो जाएगा इस पर जानकार एक राय नहीं है. अटलांटिक काउंसिल के नॉन-रेजिडेंट सीनियर फेलो कार्मिएल आर्बिट ने रॉयटर्स से कहा, ‘सिनवार की मौत अकेले ही नेतन्याहू के लिए युद्ध की समाप्ति की घोषणा करने के लिए जरूरी परिस्थितियों की गारंटी नहीं देती है, जैसा कि बहुत से लोग उम्मीद करते हैं.’
बंधंकों के परिवारों की पहली प्राथमिकता युद्ध या वार्ता किसी भी तरह से अपनों की वापसी रही है. डैनियल लिफशिट्ज़ जिनके दादा ओडेड लिफशिट्ज़ अभी भी गाजा में बंधक हैं, ने कहा, “अब समय बरबाद करने का कोई मतलब नहीं है. यह एक ऐसा अवसर है जो हमें शायद फिर कभी न मिले.”
गाजा पट्टी के नजदीक किबुत्ज़ बेरी के अध्यक्ष अमित सोलवी ने भी कहा कि सिनवार की मौत से मिले मौके का फायदा उठाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘यह एक अवसर है. इजरायल को इस मौके का फायदा उठाना चाहिए और इसे कूटनीतिक समझौते में बदलना चाहिए.”
हालांकि सबकुछ अब आगे हमास के नए लीडर और उसकी रणनीति पर निर्भर करेगा. वहीं इजरायल अतीत में यह कह चुका है कि गाजा में हमास के खात्मे के बाद गाजा पर सिक्योरिटी कंट्रोल वह अपने पास ही रखेगा.
सिनवार की हत्या गाजा में जारी संघर्ष की पेचीदिगियों को कम नहीं करने वाली. संघर्ष निकट भविष्य में क्या मोड़ लेगा इसकी भविष्यवाणी करना अभी मुश्किल है.
इस बीच गाजा में इजरायली ऑपरेशन जारी है. अलजजीरा की 19 अक्टूबर की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तरी गाजा के जबालिया शिविर पर इजरायली हमले में कम से कम 33 फिलिस्तीनी मारे गए और 80 से अधिक घायल हो गए. यह शिविर दो सप्ताह से अधिक समय से इजरायली सेना की घेराबंदी में था.
रिपोर्ट के मुताबिक 7 अक्टूबर 2023 से अब तक गाजा में इजरायली हमलों में कम से कम 42,500 लोग मारे गए हैं और 99,546 घायल हुए हैं.
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एमके/