दलितों को फिर से बांटने और आपस में लड़ाने की साजिश : मायावती

लखनऊ, 18 अक्टूबर . हरियाणा की नायब सिंह सैनी सरकार ने पहली ही कैबिनेट बैठक में अनुसूचित जाति आरक्षण में उप-वर्गीकरण लागू करने का निर्णय लिया. हरियाणा सरकार के इस फैसले पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो और यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने प्रतिक्रिया दी. उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए आरक्षण समाप्त करने वाला फैसला बताया.

उन्होंने हरियाणा की भाजपा सरकार के फैसले पर नाराजगी जताते हुए कहा कि आरक्षण कोटे के भीतर कोटा की नई व्यवस्था लागू करने का फैसला दलितों को फिर से बांटने और उन्हें आपस में ही लड़ाते रहने का षड्यंत्र है. यह दलित विरोधी ही नहीं, बल्कि घोर आरक्षण विरोधी निर्णय है.

बसपा प्रमुख मायावती ने शुक्रवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ”हरियाणा की नई भाजपा सरकार द्वारा एससी समाज के आरक्षण में वर्गीकरण को लागू करने अर्थात आरक्षण कोटे के भीतर कोटा की नई व्यवस्था लागू करने का फैसला दलितों को फिर से बांटने व उन्हें आपस में ही लड़ाते रहने का षड्यंत्र. यह दलित विरोधी ही नहीं बल्कि घोर आरक्षण विरोधी निर्णय है.”

दूसरे पोस्ट में उन्होंने लिखा, ”हरियाणा सरकार को ऐसा करने से रोकने के लिए भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व के आगे नहीं आने से भी यह साबित है कि कांग्रेस की तरह बीजेपी भी आरक्षण को पहले निष्क्रिय व निष्प्रभावी बनाने और अन्ततः इसे समाप्त करने के षड्यंत्र में लगी है, जो घोर अनुचित और बीएसपी इसकी घोर विरोधी है. वास्तव में जातिवादी पार्टियों द्वारा एससी-एसटी व ओबीसी समाज में ’फूट डालो-राज करो’ व इनके आरक्षण विरोधी षड्यंत्र आदि के विरुद्ध संघर्ष का ही नाम बीएसपी है. इन वर्गों को संगठित व एकजुट करके उन्हें शासक वर्ग बनाने का हमारा संघर्ष लगातार जारी रहेगा.”

बता दें कि इसी साल अगस्त में सीजेआई डीवाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात जजों की संविधान पीठ ने अनुसूचित जातियों के उपवर्गीकरण की अनुमति दी थी. जिससे अनुसूचित जातियों के भीतर अधिक पिछड़े समूहों के लिए अलग से कोटा प्रदान किया जा सके.

हरियाणा में तीसरी बार भाजपा सरकार बनने के बाद शुक्रवार को सीएम नायब सिंह सैनी ने पहली कैबिनेट मीटिंग में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को लागू करते हुए अनुसूचित जाति आरक्षण में कोटे के अंदर कोटे का निर्णय लागू किया.

एसके/एबीएम