मुंबई, 18 अक्टूबर . भारत के 21 बड़े राज्यों की जीडीपी वृद्धि दर वित्त वर्ष 25 में 11.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है. हालांकि, इस दौरान इन राज्यों के पूंजीगत खर्च में कमी देखने को मिल सकती है और यह 6.5 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 6.5 लाख करोड़ रुपये रह सकता है.
यह जानकारी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया (एनएसई) की ओर से जारी किए गए डेटा से मिली.
यह 21 राज्य साथ मिलकर देश की 95 प्रतिशत अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करते हैं. वित्त वर्ष 25 में इन राज्यों की जीडीपी 326 लाख करोड़ रहने की उम्मीद है.
पूंजीगत खर्च अनुपात में 6.2 प्रतिशत के साथ पंजाब सबसे निचले स्थान पर है. गुजरात 36.2 प्रतिशत के साथ शीर्ष पर है.
एनएसई की ‘स्टेट ऑफ स्टेट्स’ रिपोर्ट में कहा गया कि इन राज्यों की औसत जीडीपी वृद्धि दर 11.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जबकि वित्त वर्ष 24 में यह आंकड़ा 11.8 प्रतिशत था.
रिपोर्ट में बताया गया कि कुछ प्राप्तियां वित्त वर्ष 25 में 10.2 प्रतिशत की दर से बढ़कर 43.4 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. पिछले वित्त वर्ष में अनुमानित वृद्धि 16.7 प्रतिशत थी.
चालू वित्त वर्ष में राजस्व प्राप्तियां (कुल प्राप्तियों का 99 प्रतिशत होता है) में 10.6 प्रतिशत बढ़ोतरी का अनुमान है.
एनएसई ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि इन राज्यों के लिए कर उछाल वित्त वर्ष 25 में 1.3 गुणा पर स्थिर रहने की उम्मीद है, जो केंद्र के 1.0 गुणा से अधिक है.
दूसरी ओर, ब्याज भुगतान और पेंशन पर व्यय उच्च बना हुआ है, जिसमें कुल राजस्व व्यय का लगभग 24 प्रतिशत और राजस्व प्राप्तियों का लगभग एक चौथाई हिस्सा शामिल है.
पंजाब, केरल, हिमाचल प्रदेश और तमिलनाडु ने वित्त वर्ष 25 में अपनी राजस्व प्राप्तियों का 35 प्रतिशत से अधिक ब्याज भुगतान और पेंशन के लिए आवंटित किया है.
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एबीएस/एबीएम