नई दिल्ली, 18 अक्टूबर . सरकार ने इस बात पर जोर दिया है कि भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित वैश्विक जैव विनिर्माण केंद्र बनने की क्षमता है.
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि देश को जैव-रासायनिक विनिर्माण के बारे में वैश्विक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और इसके लिए वैश्विक रणनीति तैयार की जानी चाहिए.
केंद्रीय मंत्री सिंह ने तिरुवनंतपुरम में सीएसआईआर-एनआईआईएसटी परिसर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संस्थान से ऐसे नए इनोवेशन लाने को कहा, जो गैर-वैज्ञानिक समुदाय के लिए भी उपयोगी हों.
उन्होंने परिसर में मौजूद लोगों को बताया, “भारत को विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित वैश्विक जैव विनिर्माण केंद्र में बदला जाएगा.”
डॉ. सिंह ने तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पेश किए गए सेल्फ पावर्ड इनडोर एयर क्वालिटी मॉनिटर का उदाहरण देते हुए कहा, “सस्टेनेबिलिटी और ई-वेस्ट मैनेजमेंट केंद्र सरकार की सभी पहलों का एक मजबूत सिद्धांत रहे हैं.”
उन्होंने आगे कहा कि स्टार्टअप्स और इनक्यूबेटर्स के माध्यम से इनोवेशन और एंटरप्रेन्योरशिप को बढ़ावा देना केंद्र सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में आता है.
मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा दे रही है और उन्होंने सीएसआईआर-एनआईआईएसटी से इस रास्ते पर चलने का आग्रह किया है.
उन्होंने ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन परफॉर्मेंस केमिकल्स एंड सस्टेनेबल पॉलीमर्स’ का भी उद्घाटन किया और आयुर्वेद अनुसंधान उत्कृष्टता केंद्र की आधारशिला रखी.
देश की जैव-अर्थव्यवस्था में तेजी से वृद्धि हुई है, जो 2014 में 10 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2024 में 130 बिलियन डॉलर से अधिक हो गई है. अनुमान है कि 2030 तक यह 300 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी.
जैव विनिर्माण और जैव फाउंड्री नई बायोई3 (अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोजगार के लिए जैव प्रौद्योगिकी) नीति का हिस्सा हैं, जो भारत के हरित विकास को बढ़ावा देगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बायोई3 नीति को मंजूरी दी. बायोई3 नीति आधुनिक जैव विनिर्माण सुविधाओं, जैव फाउंड्री क्लस्टर और बायो-एआई हब की स्थापना को लेकर खास होगी.
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एसकेटी/एएस