बेंगलुरु, 17 अक्टूबर . स्टार बल्लेबाज विराट कोहली सहित भारत के रिकॉर्ड पांच बल्लेबाज न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ बेंगलुरु में पहले टेस्ट में गुरूवार को खाता खोले बिना आउट हुए. भारत ने अपनी पहली पारी में 46 रन बनाये जो उनका घर में हुए टेस्ट मैचों में सबसे न्यूनतम स्कोर है. उनका पिछला न्यूनतम स्कोर घर में वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ 1987 में दिल्ली में आया था जब वे 75 रनों पर ऑलआउट हो गए थे.
यह भारत का कुल मिलाकर टेस्ट मैचों में तीसरा न्यूनतम है. पहले नंबर पर 2020 एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ 36 और 1974 में लॉर्ड्स में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ 42 पहले और दूसरे नंबर पर है.
भारत का 46 रनों पर ऑलआउट होना किसी भी टीम द्वारा एशिया में सबसे न्यूनतम है. पिछला रिकॉर्ड एशिया में 53 ऑलआउट था. पहले 1986 में फ़ैसलाबाद में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ वेस्टइंडीज़ इस स्कोर पर ढेर हुआ तो 2002 शारजाह में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ पाकिस्तान इसी स्कोर पर ढेर हुआ था.
यह किसी भी टीम का न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ टेस्ट में सबसे न्यूनतम स्कोर है. पिछला रिकॉर्ड ज़िम्बाब्वे के नाम था जो 2012 में नेपियर में 51 रनों पर ऑलआउट हुआ था.
पहले बल्लेबाज़ी चुनने के बाद भारत के 46 रनों से नीचे पुरुष टेस्ट में तीन स्कोर हैं.
भारत के पांच बल्लेबाज़ बेंगलुरु में शून्य पर आउट हुए और यह सभी शीर्ष आठ में थे. यह केवल दूसरी बार है जब टेस्ट की एक पारी में शीर्ष आठ में से पांच बल्लेबाज़ शून्य पर लौटे हों. पिछला मौक़ा 1888 में आया था जब मैनचेस्टर में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ ऑस्ट्रेलिया की पारी ढह गई थी.
भारतीय टीम 15 रन ही जोड़ पाई और सात विकेट आउट हो गए. यानि 31 पर 3 से स्कोर 46 ऑलआउट हो गया. इससे पहले केवल एक ही बार भारतीय टीम ने टेस्ट की पारी में आखिरी सात विकेट के लिए इससे कम रन जोड़े. यह मौक़ा 2017 में पुणे टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ आया था, जब आखिरी सात विकेट के लिए केवल 11 रन जोड़े गए.
न्यूज़ीलैंड के तेज गेंदबाज मैट हेनरी को टेस्ट क्रिकेट में 100 विकेट पूरा करने के लिए 26 टेस्ट लगे, यह न्यूज़ीलैंड के खिलाड़ियों में संयुक्त रूप से दूसरा सबसे तेज़ 100 विकेट का आंकड़ा है. रिचर्ड हेडली ने 25 मैचों में 100 विकेट लिए, जबकि नील वैगनर ने 26 मैच में लिए.
पिछली बार ऐसा 2012 में हुआ था जब भारत के ख़िलाफ़ टेस्ट की एक पारी में मेहमान टीम के तेज़ गेंदबाज़ों ने ही आपस में सभी विकेट बांटे हो, यह भी न्यूज़ीलैंड ने बेंगलुरु में ही किया था. 1988 से सात बार ऐसा हुआ है जब भारत के ख़िलाफ़ मेहमान टीम के तेज़ गेंदबाज़ों ने सभी 10 विकेट बांटे हों, जिसमें से पांच बार अकेले न्यूज़ीलैंड ने ऐसा किया है.
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आरआर/