संयुक्त राष्ट्र, 16 अक्टूबर . लैंगिक समानता और महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र की संस्था संयुक्त राष्ट्र महिला ने हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में खुलासा किया है कि दुनिया भर में 2 अरब महिलाओं और लड़कियों में पुरुषों के मुकाबले समानता का अंतर काफी ज्यादा है.
विकास में महिलाओं की भूमिका पर विश्व सर्वेक्षण 2024 नाम से जारी इस रिपोर्ट में तफ्सील से बताया गया है कि सामाजिक सुरक्षा की दृष्टि से समाज में महिला और पुरुष के बीच अंतर बढ़ रहा है. हमारे समाज की मुख्यधारा में लाभ, बेरोजगारी संरक्षण, पेंशन और स्वास्थ्य देखभाल सहित अनेक ऐसी नीतियां हैं जिसकी वजह से महिलाएं और लड़कियां गरीबी की ओर अधिक संवेदनशील हो रही हैं.
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस (17 अक्टूबर) से कुछ दिन पहले प्रकाशित इस रिपोर्ट में साफ तौर पर बताया गया है कि साल 2015 के बाद से लोगों के सामाजिक सुरक्षा के स्तर में वृद्धि हुई है. इसके बावजूद लैंगिक असमानता (स्त्री पुरुष के बीच का अंतर) बढ़ गया है. इससे यह कहना आसान हो गया है कि हाल में लिए गए सरकारी फैसलों में पुरुषों को अधिक लाभ हुआ है.
हालांकि इस रिपोर्ट में महिलाओं की उन्नति के बारे में भी बताया गया है. इस रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं की प्रगति के बावजूद, दुनिया भर में 63 प्रतिशत से अधिक महिलाएं अभी भी मातृत्व लाभ के बिना ही बच्चे को जन्म देती हैं. अफ्रीकी महाद्वीप के कई देशों में स्थिति 94 फीसदी महिलाओं के साथ है.
बता दें कि एक अध्ययन में बताया गया है कि मातृत्व अवकाश के दौरान वित्तीय सहायता की कमी न केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाती है, बल्कि उनके और उनके बच्चों के स्वास्थ्य को भी खतरे में डालती है, जिससे पीढ़ियों तक गरीबी बनी रहती है.
इस रिपोर्ट में लिंग आधारित गरीबी के बारे में विशेष जानकारी दी गई है. इसमें विस्तार से बताया गया है कि महिलाओं और लड़कियों की संख्या गरीबों में सबसे ज़्यादा है, और सबसे ज्यादा अंतर उनके बच्चे पैदा करने के वर्षों में है. इसके मुताबिक 25-34 वर्ष की आयु की महिलाओं के समान आयु वर्ग के पुरुषों की तुलना में अत्यंत गरीब घरों में रहने की संभावना 25 प्रतिशत अधिक है. संघर्ष और जलवायु परिवर्तन इस असमानता को और बढ़ाते हैं. नाजुक परिस्थितियों में रहने वाली महिलाओं के गैर-नाजुक वातावरण में रहने वाली महिलाओं की तुलना में अत्यधिक गरीबी में रहने की संभावना 7.7 गुना अधिक है.
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पीएसएम/जीकेटी