नई दिल्ली, 16 अक्टूबर . एक शोध में यह बात सामने आई है कि सामाजिक रूप से अलग-थलग रहने वाले वरिष्ठ लोगों में विटामिन सी और विटामिन बी6 जैसे पोषक तत्वों की कमी होने की संभावना अधिक होती है, जिससे उनमें स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है.
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने पाया कि जो लोग सामाजिक रूप से अधिक अलग-थलग रहते हैं, उनमें स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है. उनमें मुख्य रूप से मैग्नीशियम, पोटेशियम, विटामिन सी, फोलेट और विटामिन बी6 की कमी बनी रहती है.
ये सूक्ष्म पोषक तत्व आमतौर पर फलों, सब्जियों, फलियों (जैसे मटर, सेम और मसूर) और मछली में पाए जाते हैं.
जर्नल एज एंड एजिंग में प्रकाशित अध्ययन में यूसीएल व्यवहार विज्ञान और स्वास्थ्य के प्रोफेसर एंड्रयू स्टेप्टो ने कहा, “यह महत्वपूर्ण है क्योंकि इन सूक्ष्म पोषक तत्वों के अपर्याप्त सेवन से लोगों को उम्र बढ़ने के साथ स्वास्थ्य समस्याओं का अधिक जोखिम होता है.”
इस शोध में यह भी कहा गया है कि यदि लोग अलग-थलग हैं, और उनके आसपास ऐसा कोई भी नहीं है जो उन्हें स्वस्थ रहने के बारे में जानकारी दें सकें.
लेखकों ने कहा कि वृद्ध लोग अपने आहार में एक ही तरह के भोजन पर टिके रहते है. वह अपने भोजन में बदलाव नहीं करते.
शोधकर्ताओं ने इंग्लिश लोंगिट्युडिनल स्टडी ऑफ एजिंग के डेटा का इस्तेमाल किया, जिसमें इंग्लैंड में राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व करने वाले लोगों से दो साल में कई तरह के सवालों के जवाब मांगे गए. उत्तरदाताओं को इस आधार पर स्कोर दिया गया कि वे सामाजिक रूप से कितने अलग-थलग रहते है. इसमें अलावा उनसे पूछा गया कि वह अपने घर के बाहर दोस्तों और रिश्तेदारों से कितनी बार मिलते है और क्या वे किसी क्लब में जाते है.
शोध टीम ने प्रतिभागियों के सामाजिक रूप से अलग-थलग रहने और नौ महत्वपूर्ण माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का पता लगाया.
शोध में कहा गया कि सामाजिक अलगाव का संबंध कैल्शियम, आयरन और विटामिन बी12 सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से नहीं था, जो मुख्य रूप से मांस, अंडे और डेयरी से प्राप्त होते हैं. इससे पता चलता है कि अध्ययन में शामिल जो लोग सामाजिक रूप से कम जुड़े हुए थे, उनके कम सब्जियां, फल, मेवे, बीज और फलिया वाला पारंपरिक आहार लेने की संभावना अधिक हो सकती है.
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एमकेएस/एएस