नई दिल्ली, 15 अक्टूबर . रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय नौसेना को बंगाल की खाड़ी सहित पूरे हिंद महासागर क्षेत्र में शांति की सबसे बड़ी गारंटी बताया है. उन्होंने कहा, “एक अच्छी नौसेना युद्ध के लिए उकसाने वाली नहीं, बल्कि शांति की गारंटी होती है. जिन देशों के साथ भारत अपनी समुद्री सीमा साझा करता है, उन्हें समझना चाहिए कि समुद्री सुरक्षा सामूहिक प्रयास है. अपने दरवाजे पर बाहरी ताकतों को न्योता देना इस प्रयास को नुकसान पहुंचाता है.”
उन्होंने कहा, “बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर क्षेत्र में शांति और व्यवस्था बनाए रखना हम सभी की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए. भारत के इस प्रयास में सभी मित्र देशों का समर्थन आवश्यक है, क्योंकि अगर एक देश भी छूट जाता है, तो पूरी सुरक्षा व्यवस्था टूट जाती है. भारत बांटने के बजाय जोड़ने में विश्वास करता है. हम, सभी मित्र पड़ोसी देशों के साथ मिलकर आगे बढ़ने के लिए हर संभव कदम उठा रहे हैं.”
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यह बातें तेलंगाना में भारतीय नौसेना के एक नए व बहुत कम आवृत्ति (वीएलएफ) स्टेशन की आधारशिला रखने के दौरान कही. इस स्टेशन का निर्माण 3,200 करोड़ रुपये की लागत से 2,900 एकड़ क्षेत्र में होगा. यह भारतीय नौसेना की परिचालन तत्परता को मजबूत करेगा और चुनौतीपूर्ण समुद्री वातावरण में प्रभावी कमान तथा नियंत्रण क्षमताओं को सुनिश्चित करेगा.
राजनाथ सिंह ने कहा, “युद्ध के नए विकसित होते तौर-तरीकों को देखते हुए लोगों और मशीनों के बीच असरदार तालमेल बेहद महत्वपूर्ण होता जा रहा है. यह वीएलएफ स्टेशन हमारे समुद्री हितों की सुरक्षा के दृष्टिकोण से बनाया जा रहा है. यह हमारे जहाजों और पनडुब्बियों के बीच सशस्त्र बलों के कमांड सेंटरों के साथ सुरक्षित और वास्तविक समय में संचार सुनिश्चित करेगा. एक पूर्ण-सुरक्षित संचार जीत और हार के बीच निर्णायक कारक साबित होता है. वास्तविक समय में संचार के बिना हम पर्याप्त उपकरण या जनशक्ति होने के बावजूद बढ़त हासिल नहीं कर सकते हैं.”
राजनाथ सिंह ने कहा, “अगर सैनिकों को युद्ध के मैदान या ऑपरेशनल माहौल में पूरी जानकारी दी जाए तो उनके मनोबल और एकता में वृद्धि होती है. इससे सुरक्षा और रणनीति दोनों में बढ़ोतरी होती है. संकट प्रबंधन के दौरान, एक स्पष्ट संचार चैनल महत्वपूर्ण होता है. यह तब और भी जरूरी हो जाता है जब स्थिति लगातार बदल रही हो और प्रतिक्रिया के लिए समय बहुत कम हो.” उन्होंने हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में लगातार बढ़ती वैश्विक दिलचस्पी को देखते हुए भारतीय नौसेना को लगातार सशक्त बनाने की आवश्यकता पर बल दिया.
उन्होंने कहा, “हमारी रुचि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में है. हम आईओआर में पहले प्रतिक्रिया देने वाले और पसंदीदा सुरक्षा भागीदार के रूप में भी उभरे हैं. आज कई देशों ने इस क्षेत्र में समुद्री संसाधनों पर अपना ध्यान केंद्रित किया है. अगर भारत को अपने वाणिज्यिक और सुरक्षा हितों को सुरक्षित रखना है और गहरे समुद्र की मजबूत ताकत बने रहना है, तो उसके पास अत्याधुनिक उपकरण और एक मजबूत संचार प्रणाली होना आवश्यक है.”
राजनाथ सिंह ने मिसाइल मैन कहे जाने वाले पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को उनकी जयंती पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की. उन्होंने कहा, “भारत के रक्षा क्षेत्र में डॉ. कलाम के योगदान को लंबे समय तक याद रखा जाएगा. उन्होंने न केवल भारत को नई सैन्य तकनीक प्रदान की, बल्कि वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की एक पीढ़ी को भी प्रेरित किया.”
इस अवसर पर नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने कहा कि यह परियोजना संपूर्ण समुद्री क्षेत्र में सुरक्षित, मजबूत, उत्तरदायी और विश्वसनीय कमांड, नियंत्रण और संचार नेटवर्क सुनिश्चित करेगी.
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जीसीबी/एबीएम