कर्नाटक : अदालत ने दर्शन, पवित्रा गौड़ा की जमानत याचिका की खारिज

बेंगलुरु, 15 अक्टूबर . बेंगलुरु की एक अदालत ने सोमवार को जेल में बंद कन्नड़ सुपरस्टार दर्शन और उनकी पार्टनर पवित्रा गौड़ा की जमानत याचिकाएं को खारिज कर दी.

यह याचिका दर्शन के प्रशंसक रेणुकास्वामी की सनसनीखेज हत्या के मामले में दायर की गई थी.

दर्शन और पवित्रा गौड़ा को अब जमानत के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना होगा.

दर्शन के करीबी सूत्रों ने बताया कि मंगलवार को उच्च न्यायालय में याचिका दायर की जाएगी.

अदालत ने ग्यारहवें आरोपी नागराज और बारहवें आरोपी लक्ष्मण की जमानत याचिकाएं भी खारिज कर दीं.

अदालत ने अन्य आरोपी व्यक्तियों प्रदोष एस. राव, विनय और जगदीश की जमानत याचिकाओं पर फैसला 16 अक्टूबर तक सुरक्षित रख लिया है.

न्यायाधीश जयशंकर ने आठवें आरोपी रविशंकर और तेरहवें आरोपी दीपक की जमानत याचिकाएं भी मंजूर कर लीं.

दर्शन, पवित्रा गौड़ा और 15 अन्य को चित्रदुर्ग से रेणुकास्वामी का अपहरण और बेरहमी से हत्या करने के आरोप में 11 जून को गिरफ्तार किया गया था.

रेणुकास्वामी ने कथित तौर पर पवित्रा गौड़ा को अपमानजनक और अश्लील संदेश भेजे थे.

इस बीच दर्शन के समर्थक, प्रशंसक और परिवार के सदस्य जो उनका स्वागत करने के लिए बेल्लारी जेल के बाहर एकत्र हुए थे, उन्हें अपने पसंदीदा स्टार को जेल से बाहर आते हुए देखने का अवसर प्राप्त किए बिना ही वापस लौटना पड़ा.

पुलिस ने प्रशंसकों को नियंत्रित करने के लिए बैरिकेड्स लगा दिए थे. महिला प्रशंसक भी बड़ी संख्या में जेल के पास आ गई थी.

बेंगलुरु सेंट्रल जेल में दर्शन के साथ ‘शाही व्यवहार’ की तस्वीरें सामने आने के बाद उन्हें बेल्लारी जेल में स्थानांतरित कर दिया गया. इस संबंध में उनके खिलाफ तीन एफआईआर दर्ज हैं.

सूत्रों के अनुसार दर्शन के परिवार के सदस्य उसे बेल्लारी से विशेष हेलीकॉप्टर से बेंगलुरू ले जाने के लिए तैयार थे. उन्हें उम्मीद थी कि उसे जमानत मिल जाएगी.

आपराधिक वकील सी.वी. नागेश ने दर्शन की ओर से पैरवी की और पुलिस के आरोपों को मनगढ़ंत बताया.

उन्होंने जांच को एक क्लासिक विफलता करार दिया और आरोपपत्र में लगाए गए आरोपों की तुलना ‘अरेबियन नाइट्स’ की कहानी से की.

दर्शन ने इस बात पर प्रकाश डाला कि रेणुकास्वामी के शव का पोस्टमार्टम करने और प्रत्यक्षदर्शियों के बयान दर्ज करने में जानबूझकर देरी की गई.

वकील नागेश ने इस बात पर प्रकाश डाला था कि वह दर्शन को बरी करने के लिए अपनी दलीलें नहीं रख रहे थे, बल्कि वह दर्शन को मामले में जमानत दिलाने के लिए दलीलें दे रहे थे.

हाई-प्रोफाइल मामलों को संभालने के लिए जाने जाने वाले विशेष लोक अभियोजक प्रसन्ना कुमार ने जोरदार ढंग से तर्क दिया था कि दर्शन की जमानत याचिका स्वीकार नहीं की जानी चाहिए.

उन्होंने पुलिस जांच के खिलाफ दलीलों का खंडन किया और अदालत को बताया कि दर्शन ने अपने बयान में रेणुकास्वामी की छाती पर लात मारने की बात कबूल की थी.

वकील ने इस घटना को दर्शन के “रक्त चरित्र” के रूप में भी संदर्भित किया और यह भी कहा कि उन्हें चित्रदुर्ग से रेणुकास्वामी के अपहरण की साजिश के बारे में पता था.

पुलिस ने 4 सितंबर को 3,991 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी.

एकेएस/एकेजे