चंडीगढ़, 15 अक्टूबर . पंजाब के एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स ने एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल करते हुए सुभाष उर्फ सोहू की सनसनीखेज दिनदहाड़े हत्या की गुत्थी सुलझा ली है.
राजस्थान के जोधपुर के संगरिया में 8 अक्टूबर को दो अज्ञात व्यक्तियों ने उसके सिर में पांच बार बेरहमी से गोली मार दी थी.
पंजाब के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गौरव यादव ने सोमवार को बताया कि हत्या के पीछे राजस्थान के हथियार आपूर्तिकर्ता का हाथ है.
उन्होंने कहा, “यह खुलासा राजस्थान के तीन हथियार आपूर्तिकर्ताओं भानु सिसोदिया, मोहम्मद आसिफ और अनिल कुमार की गिरफ्तारी में की गई जांच और निरंतर कार्रवाई के बाद हुआ है, जिनकी पहचान राजस्थान के बालोतरा जिले के निवासी के रूप में हुई है.”
हथियार आपूर्तिकर्ताओं को एजीटीएफ और मोहाली पुलिस की टीमों ने शुक्रवार को आरोपी नवजोत सिंह उर्फ जोटा के साथ उस समय गिरफ्तार किया, जब वे डेरा बस्सी में दो पिस्तौल और आठ जिंदा कारतूसों से युक्त हथियार की खेप पहुंचाने का प्रयास कर रहे थे.
आरोपी नवजोत उर्फ जोटा विदेश स्थित हैंडलर अमेरिका के पवित्र और फ्रांस के मनजिंदर का प्रमुख गुर्गा है और उस पर जघन्य अपराधों के 21 से अधिक मामले दर्ज हैं.
डीजीपी यादव ने कहा कि गिरफ्तार किए गए सभी चार आरोपी फिलहाल डेराबस्सी के एक पुलिस थाने में पुलिस रिमांड पर हैं और जांच तेजी से आगे बढ़ रही है. आने वाले दिनों में और खुलासे होने की उम्मीद है.
उन्होंने कहा कि मास्टरमाइंड भानु सिसोदिया ने फरवरी 2024 में अपने सहयोगी अनिल लेगा की हत्या का बदला लेने के लिए हत्या की योजना बनाने की बात कबूल की है.
उन्होंने कहा कि आरोपी मोहम्मद आसिफ और अनिल कुमार ने अपराध को अंजाम देने में अहम भूमिका निभाई.
एसएसपी दीपक पारीक ने प्रारंभिक जांच के बारे में अधिक जानकारी साझा करते हुए कहा कि राजस्थान के तीन आरोपियों ने खुलासा किया कि उन्होंने नवजोत सिंह जोता से अपराध में इस्तेमाल किए गए हथियारों के बदले में 1 लाख रुपये या पंजाब में उनके लिए सुरक्षित ठिकाने का सौदा किया था. उन्होंने कहा कि ये हथियार उन्होंने मध्य प्रदेश से खरीदे थे.
उन्होंने कहा कि इस हत्या में कुछ और लोगों की भूमिका सामने आ रही है तथा इस मामले में शामिल अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए राजस्थान पुलिस के साथ समन्वय किया जा रहा है.
डेराबस्सी के एक थाने में आर्म्स एक्ट की धारा 25(6) और 25(7) के तहत मामला एफआईआर संख्या 313 दर्ज किया गया था.
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एकेएस/एकेजे