एलएमवी के लिए मुंबई हुआ टोल-फ्री, विपक्ष ने की सभी वाहनों के लिए शुल्क हटाने की मांग

मुंबई, 14 अक्टूबर . महाराष्ट्र सरकार ने 15 अक्टूबर से मुंबई के पांचों प्रवेश प्वाइंटों (एमईपी) पर लगने वाले टोल टैक्स को खत्म करने का ऐलान किया है. इस फैसले पर विपक्षी महा विकास अघाड़ी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है.

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में प्रदेश मंत्रिमंडल ने यह फैसला लेते हुए इसे दूरगामी प्रभाव वाला निर्णय बताया. इस फैसले के बाद हल्के वाहनों को मध्य प्रदेश के मुख्य मार्गों – दहिसर, मुलुंड, ठाणे, ऐरोली और वाशी टोल प्लाजा पर टोल का भुगतान करने से छूट दे दी गई है.

हालांकि, इस फैसले के बाद भी भारी मोटर वाहनों (एचएमवी) पर टोल की वसूली पहले की तरह जारी रहेगी. इन वाहनों में बड़े टैम्पो, बसें, आवश्यक वस्तुएं ले जाने वाले मालवाहक ट्रक और अन्य बड़े वाहन शामिल हैं.

महाराष्ट्र सरकार के इस कदम का आम लोगों ने स्वागत किया है. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) नेताओं ने भी इस फैसले का स्वागत किया है. साथ ही कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (सपा) प्रवक्ता क्लाइड क्रैस्टो, शिवसेना (यूबीटी) प्रवक्ता किशोर तिवारी, सामाजिक कार्यकर्ता प्रफुल शारदा और अन्य ने इसे राजनीति से प्रेरित बताते हुए आम लोगों के लिए सरकार से कई मांगें रखी.

प्रसन्न राज ठाकरे ने मनसे कार्यकर्ताओं की सराहना की, जिन्होंने इस मुद्दे पर कई आंदोलन किए थे, जिनमें से कुछ हिंसक भी थे. वे टोल से वसूले गए धन में पारदर्शिता की मांग कर रहे थ. वह लोग यह जानना चाहते थे कि एकत्र किया गया पैसा वास्तव में कहां जा रहा है.

इस मामले में राज ठाकरे ने कहा, “हमने मांग की है कि सभी सड़कें टोल-मुक्त होनी चाहिए. टोल प्लाजा पर तोड़फोड़ करने के लिए हमारी आलोचना की गई. लेकिन, सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए कठोर कदम उठाना जरूरी था. कम से कम अब मुंबईकरों को टोल चुकाने से मुक्ति मिलेगी और हमें खुशी है कि हमारा आंदोलन सफल रहा.”

कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने सरकार की राजनीतिक मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह निर्णय भारत के चुनाव आयोग द्वारा आचार संहिता लागू करने से कुछ ही दिन पहले आया है.

सावंत ने कहा, “सत्तारूढ़ महायुति जनता की नाराजगी और सत्ता खोने के डर में जी रही है. इसलिए वह इस तरह के ‘अच्छा महसूस कराने वाले’ फैसले ले रही है. लेकिन, इसे एचएमवी के लिए भी क्यों नहीं बढ़ाया जा सकता? राज्य में ठेकेदारों को भुगतान क्यों जारी रखा जाए?”

पीएसएम/जीकेटी