हर कोई हारने के बाद एक-दूसरे पर आरोप लगाते हैं : धर्मबीर सिंह

नई दिल्ली, 13 अक्टूबर . हरियाणा विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस ने ईवीएम पर सवाल उठाए हैं. पार्टी ने चुनाव आयोग से राज्य के 20 विधानसभा क्षेत्रों में दोबारा मतगणना की मांग की है. आयोग को लिखे पत्र में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए हस्तक्षेप की मांग की गई है. इस पर भाजपा सांसद धर्मबीर सिंह ने रविवार को कहा कि हारने के बाद सभी एक-दूसरे पर आरोप लगाते हैं.

भाजपा सांसद ने से बातचीत में कहा कि हारने के बाद सब एक-दूसरे पर आरोप लगाते हैं. जब कोई जीतता है तो कहता है कि मैं अपने दम पर जीता हूं. हारने के बाद वे कहने लगते हैं कि ईवीएम ने उन्हें हरा दिया.

मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा भाजपा को “आतंकवादी” कहे जाने पर भाजपा सांसद धर्मवीर सिंह ने कहा, ”हमारे गांव में एक कहावत है कि एक निश्चित उम्र के बाद आदमी बूढ़ा हो जाता है. मुझे लगता है कि बुढ़ापा उन पर हावी हो गया है. इसलिए वह अब बकवास कर रहे हैं.”

खड़गे ने कहा था कि जब तक पीएम मोदी चुनाव नहीं हार जाते, मैं नहीं मरूंगा. इस पर भाजपा नेता ने कहा कि भगवान उन्हें लंबी उम्र दे. जब तक वह जिंदा रहेंगे, नरेंद्र मोदी देश के पीएम बने रहेंगे.

राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने रविवार को ईवीएम के दुरुपयोग की बात की और कहा कि हर चुनाव में ऐसा होता रहा है. उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि मैं शुरू से ही यह कहता आ रहा हूं कि ईवीएम का दुरुपयोग हमेशा से ही होता रहा है. चाहे वह लोकसभा का चुनाव हो या विधानसभा का. हर चुनाव में ईवीएम का दुरुपयोग होता रहा है.

उन्होंने आगे कहा, “मैं हमेशा से ही ईवीएम के खिलाफ बयान देता हुआ आया हूं. मेरे कई बयान आपको याद ही होंगे. मैंने कई दफा इस बातचीत पर बल दिया है कि सभी चुनावों में ईवीएम का दुरुपयोग हो रहा है.”

उन्होंने कहा कि इस बात को खारिज नहीं कर सकते हैं कि चुनावों में ईवीएम का दुरुपयोग होता आया है. हम कई बार इस मुद्दे को विभिन्न चुनावी मंचों पर भी उठा चुके हैं.

ज्ञात हो कि हाल ही में सम्पन्न हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने ईवीएम के दुरुपयोग का मुद्दा उठाया था. सत्ता विरोधी लहर के बावजूद भारतीय जनता पार्टी की शानदार जीत के बाद कांग्रेस ने ईवीएम को लेकर चुनाव आयोग में भी शिकायत की है. कांग्रेस का आरोप है कि वोट की काउंटिंग होने के बावजूद आंकड़े देरी से सार्वजनिक किए गए, जिसे लेकर कई तरह के गंभीर सवाल खड़े होते हैं.

आरके/एकेजे