हरियाणा में हार के लिए हुड्डा जिम्मेदार, प्रियंका गांधी अपने हाथ में लें कांग्रेस की कमान : गुरनाम चढूनी (आईएएनएस साक्षात्कार)

कुरुक्षेत्र, 13 अक्टूबर . कांग्रेस पार्टी को हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने इस हार का आरोप राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा पर लगाया है. उन्होंने कहा कि राज्य में कांग्रेस को सिर्फ भूपेंद्र हुड्डा की महत्वाकांक्षा की वजह से ही हार मिली है. साथ ही उन्होंने कांग्रेस पार्टी को सलाह दी कि कांग्रेस के हाईकमान कमजोर हैं. कांग्रेस पार्टी की ऊपरी कमान प्रियंका गांधी के हाथों में दे दें. अगर ऐसा किया तो भी कांग्रेस बच सकती है, वर्ना हरियाणा से कभी भी भाजपा नहीं जाएगी.

सवाल: हरियाणा में एक मौका था, कांग्रेस उसे भुना नहीं पाई, खासकर जब किसान आंदोलन के बाद जवान और पहलवान भी नाराज थे. देश भर में विरोध का माहौल था. कांग्रेस इसे भुनाने में फेल हो गई?

जवाब: इसका मुख्य कारण भूपेंद्र हुड्डा हैं. मैंने चुनाव से पहले ही कहा था कि भूपेंद्र हुड्डा कांग्रेस का सत्यानाश करेंगे. इसके कई कारण थे. उनका वादा था कि वह हमें लोकसभा चुनाव में टिकट देंगे, लेकिन बाद में मुकर गए. अगर वह अभय चौटाला को एक टिकट देते तो लोकसभा में कांग्रेस की 9 सीटें आती. विधानसभा चुनाव से पहले भी हुड्डा ने मेरे साथ गद्दारी की थी. उन्होंने लोकसभा चुनाव के दो दिन पहले फोन किया. फोन पर उन्होंने मुझसे रोहतक सीट का समर्थन मांगा, और मैंने समर्थन दिया. हालांकि उन्हें मुझसे सारे हरियाणा का समर्थन मांगना चाहिए था, लेकिन उन्होंने मुझसे सिर्फ रोहतक सीट का समर्थन मांगा. मैंने उन्हें रोहतक सीट पर समर्थन दिया भी. दीपेंद्र हुड्डा के लिए मैंने अपने लड़के सहित अपने लोगों को भेजा. इन लोगों ने वहां जाकर उनके पक्ष में प्रेस कांफ्रेंस की.

उसके बाद चुनाव में उन्होंने किसान नेताओं को नजरअंदाज किया. समर्थन करने वाले लोगों ने हुड्डा से चुनाव में एक सीट मांगी थी, लेकिन वह मुकर गए. कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में साफ कहा था कि किसान नेताओं को चुनाव में प्राथमिकता दी जाए. इसके बावजूद हुड्डा ने कई प्रमुख किसानों को किनारे कर दिया, जिससे कांग्रेस का नुकसान हुआ. इन्होंने रमेश दलाल को किनारे कर दिया. रमेश दलाल ने राजीव गांधी की हत्या का केस अपनी जान पर खेल कर लड़ा था. इन्होंने मुझे किनारे कर दिया. उन्होंने बलराज कुंडू को किनारे कर दिया. चार-पांच और लीडरों का ग्रुप गया था, उसे भी किनारे कर दिया.

इन्होंने कुमारी शैलजा, किरण चौधरी, रणदीप सुरजेवाला, आम आदमी पार्टी, अभय चौटाला जैसे नेताओं को किनारे कर दिया. उन्होंने किसानों को दरकिनार करके खुद को अकेला कर लिया. अब उनकी स्थिति इतनी खराब हो गई है कि भगवान ने उन्हें किनारे लगा दिया. यह सब अहंकार के कारण हुआ. उन्होंने खुद को सबसे बड़ा किसान नेता घोषित कर दिया. उनके चेले, जिन्हें हुड्डा पुत्र कहा जाता है, ने चुनाव के दौरान कहा कि गुरनाम सिंह भाजपा के हाथों बिक गया. यह लोग सिर्फ बकवास करते हैं. मैंने तो यह ऐलान किया था कि हम हरियाणा में हर सीट पर चुनाव लड़ेंगे. लेकिन फिर यह लोग मुझपर वोट काटने का आरोप लगाते, इसलिए मैंने सिर्फ एक सीट पर चुनाव लड़ा. फिर भी इन लोगों ने मुझ पर वोट काटने का आरोप लगा दिया. वहीं, भाजपा आरोप लगाती थी कि मैंने कांग्रेस से पैसे लेकर यह आंदोलन किया है.

सवाल: आपके इतने वोट कम कैसे आए, क्या जनता ने आपका साथ नहीं दिया ?

जवाब: कम वोट इसलिए आए क्योंकि हुड्डा एंड पार्टी ने यह अफवाह फैला दी कि मैं भाजपा का आदमी हूं. इसके बाद किसी ने मेरी एक धरने पर बैठे हुए फोटो डाल दी. जिसमें लिखा है कि मैं कह रहा हूं कि किसी और को वोट करें. कांग्रेस किसी भी हालत में जीतनी नहीं चाहिए. वह पोस्ट मीडिया को भेज दी गई. इस बात की जानकारी मुझे मिलने तक बात बिगड़ चुकी थी. भाजपा और कांग्रेस को छोड़ कर किसी भी पार्टी को वोट नहीं मिले. चाहे ‘आप’ हो, ‘इनेलो’ हो कोई भी पार्टी हो. आमने सामने सिर्फ दो ही पार्टियां रही.

सवाल: आप पिछले कई सालों से हरियाणा में विपक्ष की भूमिका निभा रहे थे, फिर भी लोगों ने आपका साथ नहीं दिया?

जवाब: हरियाणा में कांग्रेस के पक्ष में जो माहौल बनाया था, वह मैंने और सभी किसान नेताओं ने मिलकर बनाया था. हुड्डा ने न मुझे टिकट दिया न अन्य किसान नेताओं को. इससे हरियाणा में यह संदेश गया कि भाजपा तो किसान विरोधी थी ही, अब कांग्रेस भी वही काम कर रही है.

सवाल : हरियाणा में कांग्रेस की हार की सबसे बड़ी वजह गुरनाम सिंह चढूनी क्या मानते हैं ?

जवाब: हरियाणा में कांग्रेस की हार की सबसे बड़ी वजह यह है कि कांग्रेस पार्टी ने चुनाव की सारी जिम्मेदारी हुड्डा को दे दी और इन्होंने किसी से समझौता नहीं किया. सबको किनारे कर दिया. अब मैं कांग्रेस के उच्च नेतृत्व को कहता हूं कि उन्हें हुड्डा को विपक्ष का नेता नहीं बनाना चाहिए, क्योंकि उन्होंने पिछले दस सालों में विपक्ष की भूमिका नहीं निभाई. यदि ऐसा जारी रहा, तो कांग्रेस का भविष्य संकट में रहेगा. राज्य में किसान यूनियन ने विपक्ष की भूमिका निभाई.

सवाल: क्या किसान आंदोलन गलत हाथों में चला गया था? यह बात कहीं न कहीं उठती रहती है.

जवाब : इसको गलत हाथों में नहीं कहना चाहिए. सबकी अपनी-अपनी विचारधारा है. मेरी विचारधारा यह है कि सड़क से किसी भी समस्या का हल 100 सालों से भी नहीं किया जा सकता. जहां कानून बनता है, वहां अपने आदमी क्यों नहीं भेजे जाते. यह लोग कहते हैं कि इलेक्शन तो लड़ना ही नहीं चाहिए. आप काम चाहे जितना कर लो, वोट आपको नहीं मिलेंगे. वोट कांग्रेस और भाजपा को ही जाएंगे विपक्ष की भूमिका निभाने वाले लोग किसान नेता रहे हैं. अब राजनीतिक माहौल इतना बदल चुका है कि किसान वर्ग ने भाजपा को वोट दिया है. राजनीतिक रणनीतियों में सुधार की आवश्यकता है, क्योंकि केवल सड़क पर आंदोलन करना अब पर्याप्त नहीं है.

सवाल: क्या पंजाब और हरियाणा सीमा पर जो आंदोलन चल रहा है, वह जारी रहेगा ?

जवाब : यह वह लोग जानें जो आंदोलन कर रहे हैं कि जारी रखना है या नहीं. राज्य में उम्मीद थी कि कांग्रेस जीतेगी. लेकिन जीत नहीं मिल सकी. राज्य के किसान वर्ग ने ही भाजपा को वोट दिए हैं.

सवाल : अब आप राजनीति में रहेंगे या संन्यास लेंगे, आप लड़ाई संसद या विधानसभा से लड़ेंगे या सड़क से लड़ेंगे ?

जवाब : अभी यह तय नहीं किया है. इसके लिए मीटिंग बुलाई जाएगी, तब यह तय किया जाएगा. अभी लोगों की 6 हजार बीघे जमीन ली गई. उसमें जो मुख्य आदमी था, वह कहता है कि मैं तो भाजपा के साथ हूं. यह डूब मरने की बात है.

सवाल: यह किस विधानसभा का मामला था?

जवाब: यह पेहोवा विधानसभा का मामला है. 2001 में इसके निस्तारण के लिए मैंने अपनी ओर से प्रयास किए. आज उन लोगों से मुझे जरूरत पड़ी तो वह लोग भाजपा को वोट दे रहे हैं. उनकी जमीन जाने पर पूरे हरियाणा में कोई राजनीतिक पार्टी नहीं बोली, न ही कोई किसान संगठन बोला. हम आगे आए तब जाकर वह भूमि बची. जिस गांव की जमीन गई, वह लोग भाजपा के साथ खड़े हैं.

सवाल : आपने किसान नेता होने के नाते उन लोगों के लिए इतना कुछ किया, फिर भी लोगों का समर्थन आपको नहीं मिला. इस पर क्या कहेंगे ?

जवाब : इसे चाहें विश्वासघात कह लें या गद्दारी. मैंने एक आदमी के छह महीने पहले 30 लाख रुपए निकलवाए. वह आदमी मुझे छोड़ कर कांग्रेस के साथ खड़ा है. इसे गद्दारी कहते हैं. यहां मैं नहीं हारा, यह किसान कौम हारी है.

सवाल : कांग्रेस में टिकट बेचने के आरोप लग रहे हैं. चमड़ी-दमड़ी की भी बात सामने आ रही है. कांग्रेस महासचिव पर भी आरोप लग रहे हैं. इस पर क्या कहेंगे?

जवाब : पैसे चलना राजनीति में आम बात है. सारी पार्टियां पैसे लेकर ही टिकट देती हैं. पैसे लेकर टिकट सारी पार्टियां देती हैं. लेकिन दूसरी पार्टियां अहंकार नहीं रखती. वह सब सुलझाकर चलती हैं. लेकिन इन लोगों ने मामले को सुलझाया नहीं. यह सबसे बड़ी गलती की. कांग्रेस हाईकमान कमजोर था. मैं तो यह सलाह दूंगा कि राहुल और प्रियंका भाई-बहन हैं. अंदरखाने में राहुल को जो करना है, वह करें, लेकिन ऊपरी कमान प्रियंका के हाथों में दे दें. अगर ऐसा किया तो भी कांग्रेस बच सकती है, वरना राज्य से भाजपा कभी जाएगी नहीं.

सवाल : संसद घेरने और दिल्ली को जाम करने का फैसला उस वक्त सही था?

जवाब : वह फैसला बिल्कुल सही था. मैं तो यह कहूंगा कि उस समय वह आंदोलन कमजोर रहा. उस समय तो यह होना चाहिए था कि हम दिल्ली की सीमाओं पर कुछ दिन ही बैठते, उसके बाद संसद का घेराव करते. अगर संसद का घेराव कर लिया होता तो आज यह दिन नहीं देखना पड़ता. यह लोग वहां से आने के बाद फिर से सड़क पर बैठे हैं. एक बार में ही आर पार करके निपटना चाहिए था.

सवाल : किन राज्य सरकारों को किसान हितैषी माना जाता है. भाजपा की राज्य सरकारों को या कांग्रेस की राज्य सरकारों को?

जवाब : ऐसा कुछ नहीं है. आप छत्तीसगढ़ को ही देख लीजिए. वहां राज्य सरकार द्वारा धान की सरकारी खरीद 3100 रुपए प्रति क्विंटल पर की जा रही है. धान की एमएसपी ही 3100 रुपए है. जो केंद्र सरकार दे रही है उसके बाद राज्य सरकार अपने पास से दे रही है. आप हरियाणा में देख लीजिए, धान की कीमत 2100 से 2200 रुपए प्रति क्विंटल है.

सवाल: कांग्रेस पार्टी ने आंदोलन में किसानों को खुला समर्थन दिया, लेकिन चुनावों में किसानों को नहीं पूछा. ऐसा क्यों?

जवाब : किसान आंदोलन को कांग्रेस ने बिल्कुल समर्थन नहीं दिया. यह तो भाजपा की कहावत थी. उन्होंने आरोप लगया था कि कांग्रेस ने पैसे देकर किसानों से आंदोलन करवा दिया. इन आंदोलनों में कांग्रेस पार्टी का एक फीसदी भी रोल नहीं था. बाकी नेता आंदोलन में जाते रहे, लेकिन हुड्डा आंदोलन में बिल्कुल नहीं गए. यह सब सीधे वोट लेने के लिए किया गया. बाकी किसी पार्टी ने किसानों का साथ नहीं दिया.

सवाल : किसान नेताओं ने किसानों के मुद्दे तो उठाए, अग्निवीर का मुद्दा उठाया, पहलवानों का मुद्दा उठाया, लेकिन यह सारे मुद्दे कांग्रेस पार्टी भुना नहीं पाई.

जवाब: सभी फैक्टर ने मिलकर एंटी भाजपा माहौल बना दिया, लेकिन उस माहौल को अकेले हुड्डा ने उखाड़ फेंका. इसमें कांग्रेस पार्टी को दोष नहीं दे सकते. यह काम अकेले हुड्डा ने किया. उन्होंने हुड्डा को हरियाणा में मालिक बना दिया. हुड्डा ने सारे फैसले वह लिए, जिससे वह अकेले राज करें. उन्हें बाकी लोगों को भी साथ जोड़ना था. मुख्यमंत्री तो वह बनते ही, अन्य लोगों को साथ जोड़ने से उनका क्या नुकसान हो जाता.

सवाल : कांग्रेस पार्टी अब ईवीएम और उसकी बैट्री पर सवाल उठा रही है.

जवाब: अब कांग्रेस के लिए खिसियानी बिल्ली खंभा नोचने वाली बात है. उनके पास कहने को अब और कुछ बचा नहीं है. इस मामले में हुड्डा दोषी हैं. कांग्रेस को उन पर कार्रवाई करनी चाहिए.

पीएसएम/एएस