दिवाली के लिए मिट्टी के दीये बनाने का काम जारी, कुम्हारों ने पीएम मोदी का जताया आभार

भीलवाड़ा, 12 अक्टूबर . दशहरा के बाद दीपावली का लोग अब ब्रेसबी से इंतजार कर रहे हैं. दीपावली को लेकर कुम्हारों के चाक की रफ्तार तेज हो गई है.

गांवों में मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हार दिन-रात अपने काम में जुटे हुए हैं. कुम्हारों को उम्मीद है कि दीपावली पर इस बार लोगों के घर-आंगन मिट्टी के दीये से जगमग होंगे और उनके कारोबार को बढ़ावा मिलेगा.

राजस्थान के भीलवाड़ा में मिट्टी के दीपक बनाने वाले शास्त्रीनगर निवासी मनु प्रजापति ने कहा कि दीपावली पर्व के मद्देनजर हम मिट्टी के दीपक बनाने में लग गए हैं. इस बार उम्मीद है कि दीपावली पर काम अच्छा चलेगा. यह हमारा पुश्तैनी धंधा है और वर्षों से हम यहीं काम करते आ रहे हैं. उम्मीद है इस बार शहरवासी अधिक से अधिक मिट्टी का दीपक जलाएंगे. हम दो महीनों से इस काम में लगे हुए हैं और यही हमारी आजीविका का साधन है. इसके अलावा हम सालभर मिट्टी के कुल्हड़ बनाते रहते हैं. पीएम मोदी के प्रयासों से लोगों पर जबरदस्त असर पड़ा है और पिछली बार दिवाली के मौके पर दीयों की बिक्री भी जमकर हुई थी.

उन्होंने आगे कहा कि मिट्टी का दीपक धीरे धीरे लुप्त होता जा रहा था, लेकिन पीएम मोदी ने उसे बढ़ावा दिया है. वोकल फॉर लोकल की अपील का असर लोगों के बीच देखने को मिल रहा है. लोग चाइनीज झालरों के बजाय मिट्टी के दीयों को प्राथमिकता दे रहे हैं. जिससे हमारे काम को बढ़ावा मिल रहा है. इससे रोजगार के अवसर बढ़े हैं.

बाजार में भी मिट्टी के दीये बिकने के लिए चाक पर तैयार हो रहे हैं और कुम्हारों ने अभी से दीयों को बनाना शुरू कर दिया है. चाइनीज झालरों और मोमबत्तियों की चकाचौंध ने दीयों के प्रकाश को गुमनामी के अंधेरे में धकेल दिया था. मगर पिछले तीन वर्षों से लोगों की सोच में खासा बदलाव आया है और मिट्टी के दीपक की मांग काफी बढ़ गयी है.

धार्मिक महत्व के अनुसार मिट्टी के दीपक जलाने चाहिए. मिट्टी के दीपक जलाने से शांति मिलती है और तरक्की होती है. दीपावली के दिन दीपक जलाने से घर में लक्ष्मी का निवास होता है.

एकेएस/एबीएम