गाजियाबाद, 12 अक्टूबर . राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने पूरे देश के मदरसों में पढ़ रहे बच्चों के अधिकारों को लेकर सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और प्रशासकों को पत्र लिखकर मदरसों और मदरसा बोर्डों को राज्य से वित्तीय सहायता रोकने और उन्हें बंद करने की सिफारिश की है. एनसीपीसीआर के चेयरपर्सन के इस बयान की गाजियाबाद के मुस्लिम धर्मगुरु हाफिज मोहम्मद खालिद ने निंदा की है.
उन्होंने से बात करते हुए कहा, “सारे आयोग भारत सरकार के अंतर्गत काम करते हैं. भारत सरकार की नीतियां पूरी तरह से एंटी-मुस्लिम हैं. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पहले एक निर्णय दिया था कि मदरसा बोर्ड को बंद किया जाए, यह कहते हुए कि यहां बच्चों के साथ सही आचरण नहीं हो रहा है और उनका मानसिक संतुलन बिगड़ रहा है. मैं आपसे पूछता हूं, क्या सभी स्कूलों में शिक्षकों द्वारा बच्चों के साथ किए गए बलात्कार की घटनाओं के लिए उन सभी स्कूलों को बंद कर दिया गया? हाल ही में, कोलकाता में एक जूनियर डॉक्टर के साथ बलात्कार हुआ, और उस पर बीजेपी और उनके सहयोगियों ने इतना हंगामा किया कि पूरा बंगाल बंद हो गया. क्या सभी अस्पतालों को भी बंद कर दिया गया?”
उन्होंने आगे कहा, “अगर किसी मदरसे के शिक्षक या किसी स्कूल के शिक्षक ने गलती की है, तो उसके खिलाफ सख्त कानून कार्रवाई होनी चाहिए. लेकिन एक-दो घटनाओं के आधार पर पूरे मदरसों या स्कूलों को बंद नहीं किया जा सकता. जहां गलती हो, वहां सुधार होना चाहिए. राज्य सरकारों और केंद्र सरकार को चाहिए कि जो लोग बच्चों के साथ गलत आचरण कर रहे हैं, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करे. इसके लिए फास्ट-ट्रैक कोर्ट स्थापित किए जाएं ताकि जल्द से जल्द फैसले लिए जा सकें. मदरसे को बंद करने का जो निर्णय लिया गया है, मैं उसे लेकर उच्चतम न्यायालय की स्थिति को ध्यान में रखना चाहता हूं. इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट ने स्थगित किया हुआ है, और अंतिम फैसला सुप्रीम कोर्ट का ही होगा, जो हमारी सबसे बड़ी संवैधानिक संस्था है. उसका आदेश अंतिम और मान्य होगा.”
–
पीएसएम/जीकेटी