भारत की शिप रीसाइक्लिंग इंडस्ट्रीज 2028 तक 10 प्रतिशत के सीएजीआर से बढ़ने का अनुमान

मुंबई, 11 अक्टूबर . भारत की शिप रीसाइक्लिंग इंडस्ट्री के 2028 तक 10 प्रतिशत के चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ने के अनुमान हैं. यह जानकारी एक रिपोर्ट में दी गई.

केयरएज रेटिंग्स की रिपोर्ट में बताया गया कि कैलेंडर ईयर 2023 में विघटित वैश्विक सकल टन भार (जीटी) में भारत की हिस्सेदारी 33 प्रतिशत थी. इस सेक्टर में 46 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ बांग्लादेश शीर्ष पर है.

शिप रीसाइक्लिंग इंडस्ट्री का आकार 2025 तक बढ़कर 3.8 – 4.2 मिलियन जीटी हो सकता है, जो कि 2024 में 2.3-2.6 मिलियन जीटी रहने का अनुमान है.

भारत में अलंग (गुजरात) दुनिया की सबसे बड़ी जहाज रीसाइक्लिंग सुविधाओं में से एक है, जिसमें 140 से अधिक रीसाइक्लिंग यार्ड हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का जहाज-रीसाइक्लिंग उद्योग वैश्विक समुद्री क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. शिप रीसाइक्लिंग इंडस्ट्री में बांग्लादेश, भारत, पाकिस्तान और तुर्की शीर्ष चार देश हैं, जो वैश्विक जहाज रीसाइक्लिंग मात्रा का 90 प्रतिशत से अधिक नष्ट कर देते हैं.

केयरएज रेटिंग्स के असिस्टेंट डायरेक्टर सजनी शाह ने कहा कि बाल्टिक ड्राई इंडेक्स (बीडीआई) के कम होने, भारी पिघलने वाले कबाड़ की कीमतों का स्थिरीकरण और संचालन में अप्रचलित जहाजों में वृद्धि आदि दिखाते हैं कि कैलेंडर वर्ष 2025 में अधिक जहाजों की रीसाइक्लिंग हो सकती है.

शाह ने आगे कहा कि वे देश जिनके पास बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर और ग्रीन रीसाइक्लिंग सुविधा होगी, वे भविष्य में इन इंडस्ट्री में अधिक मार्केट शेयर हासिल कर पाएंगे.

रिपोर्ट के मुताबिक, आपूर्ति श्रृंखला में बाधा और महामारी के बाद स्टील की मांग में उछाल के कारण भारी पिघलने वाले कबाड़ की कीमतें भावनगर में बढ़कर अप्रैल 2022 में पीक पर 54,400 रुपये प्रति टन पर पहुंच गई थी, जो कि अगस्त 2020 में 28,800 रुपये प्रति टन थी.

पीक पर पहुंचने के बाद दिसंबर 2023 में कीमतें गिरकर 39,900 रुपये प्रति टन पर पहुंच गई थी. जनवरी 2023 से कीमतें 36,000 रुपये प्रति टन से लेकर 44,000 रुपये प्रति टन के बीच स्थिर हैं.

एबीएस/एबीएम