विजय मर्चेंट : भारतीय क्रिकेट के ‘ब्रैडमैन’, जिन्हें सचिन-गावस्कर मानते हैं अपना आदर्श

नई दिल्ली, 11 अक्टूबर . भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक से बढ़कर एक बल्लेबाज हुए. विजय मर्चेंट भी उन्हीं में से एक थे. 12 अक्टूबर, 1911 को बंबई (अब मुंबई) में जन्मे मर्चेंट ने अपने करियर में 1933 से 1951 के बीच महज 10 टेस्ट मैच खेले और फिर कंधे की चोट ने उन्हें संन्यास लेने पर मजबूर कर दिया. वो आजाद भारत के पहले भारतीय क्रिकेटर थे, जिन्होंने अपनी काबिलियत के बूते पूरी दुनिया का ध्यान खींचा.

क्रिकेट के कौशल के साथ-साथ उनमें देश भक्ति भी बेशुमार थी. उन्होंने एक बार अंग्रेजों के खिलाफ अपनी बगावत पेश करते हुए टीम से अपना नाम वापस ले लिया था.

मात्र 5 फीट 7 इंच का यह बल्लेबाज उन दिनों अपने बेहतरीन फुटवर्क, शानदार कट, ड्राइव और लेट-कट और अपने कई तरह के स्ट्रोक से फैंस के दिलों पर राज करता था. यह वही थे जिन्हें सचिन तेंदुलकर और सुनील गावस्कर भी अपना आदर्श मानते हैं.

विजय मर्चेंट की काबिलियत का इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन्होंने 150 प्रथम श्रेणी मैचों में 71.64 की औसत से रन बनाए. यह प्रथम श्रेणी क्रिकेट में डॉन ब्रैडमैन के बाद सबसे बेस्ट एवरेज है. ब्रैडमैन का फर्स्ट क्लास एवरेज 95.14 का रहा था. अगर, हम रणजी ट्रॉफी की बात करे तो उनके आंकड़े और बेहतर है.

देखा जाए तो दाएं हाथ के बल्लेबाज विजय मर्चेंट का टेस्ट करियर वैसे तो 18 साल तक चला, लेकिन वह सिर्फ 10 टेस्ट मैच ही खेल पाए. इसके पीछे की वजह द्वितीय विश्व युद्ध था. खास बात यह है कि ये सभी टेस्ट इंग्लैंड टीम के ही खिलाफ थे. इन 10 मैचों की 18 पारियों में मर्चेंट ने 47.72 की औसत से 859 रन बनाए, जिसमें 3 शतक और 3 अर्धशतक शामिल रहे. टेस्ट क्रिकेट में उनका बेस्ट स्कोर 154 रन रहा. इसके अलावा फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उनके आंकड़े शानदार हैं.

मर्चेंट की खास उपलब्धियों में उनका आखिरी टेस्ट शतक शामिल है, जिसने उन्हें सबसे ज्यादा उम्र में टेस्ट शतक जमाने वाला भारतीय बल्लेबाज बनाया. उन्होंने रिटायरमेंट के बाद भारतीय टीम के सेलेक्टर की भूमिका भी निभाई थी. वह एक अच्छे लेखक और कार्यक्रम प्रस्तुतकर्ता भी थे. 76 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. उनकी याद में बीसीसीआई ने विजय मर्चेंट ट्रॉफी की शुरुआत की थी.

एएमजे/आरआर