नई दिल्ली, 11 अक्टूबर . ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस (ओयूपी) ने शुक्रवार को दुनिया भर के विद्यार्थियों के लिए संस्कृत भाषा को सुलभ बनाने के लिए त्रिभाषी संस्कृत-हिंदी-अंग्रेजी शब्दकोश के लॉन्च की घोषणा की. ओयूपी जल्द ही द्विभाषी शब्दकोश भारत पोर्टफोलियो में शामिल भाषाओं की संख्या को बढ़ाकर 13 (जिसमें 9 शास्त्रीय भाषाएं शामिल हैं) करेगा.
ऑक्सफोर्ड शब्दकोश अब संस्कृत, बंगाली, असमिया, कन्नड़, मलयालम, ओडिया, तमिल, तेलुगु, मराठी, गुजराती, पंजाबी, उर्दू और हिंदी में उपलब्ध हैं.
ओयूपी इंडिया के प्रबंध निदेशक सुमंत दत्ता ने कहा, “ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए समर्पित है. यह त्रिभाषी शब्दकोश भाषा सीखने और हमारी सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने की हमारी प्रतिबद्धता में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है.”
दत्ता ने कहा, “यह एनईपी 2020 और एनसीएफ 2023 दिशानिर्देशों को ध्यान में रखते हुए संस्कृत सीखने की यात्रा शुरू करने वाले छात्रों के लिए एक मूल्यवान संसाधन होगा.”
नया शब्दकोष उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थानम (यूपीएसएस) के सहयोग से प्रकाशित किया गया है.
नए ऑक्सफोर्ड संस्कृत-हिंदी-अंग्रेजी शब्दकोष में संस्कृत के विद्यार्थियों के लिए सावधानीपूर्वक चुने गए 25,000 से अधिक शब्द शामिल हैं. इसमें शब्दों की प्रासंगिकता को ध्यान में रखते हुए यह दृष्टिकोण रखा गया है कि संस्कृत का प्रत्येक विद्यार्थी 10 वर्ष बाद सरल मानक संस्कृत में पारंगत और धाराप्रवाह हो जाएगा.
इसके अलावा, ओयूपी ने तीन अन्य शब्दकोशों के विमोचन की भी घोषणा की. कॉम्पैक्ट इंग्लिश-इंग्लिश-उर्दू डिक्शनरी, मिनी हिंदी-इंग्लिश डिक्शनरी और इंग्लिश-हिंदी डिक्शनरी. इस वर्ष की शुरुआत में, ओयूपी ने अंग्रेजी-अंग्रेजी-असमिया शब्दकोश और मिनी अंग्रेजी-बंगाली शब्दकोश लॉन्च किया था.
संस्कृत को 2005 में ‘शास्त्रीय’ दर्जा प्राप्त हुआ. भाषाविदों ने प्रस्तावित किया कि संस्कृत और कई यूरोपीय भाषाओं की जड़ें एक ही पूर्वज से जुड़ी हैं, जिसे प्रोटो-इंडो-यूरोपियन के नाम से जाना जाता है.
ऐसा माना जाता है कि सदियों पुरानी संस्कृत भाषा ने महाद्वीपों में फैले विविध भाषा परिवारों के लिए भाषाई खाका के रूप में काम किया.
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एमके/