बिहारवासी मिथिलांचल की परंपरा के अनुसार बेंगलुरु में मना रहे दुर्गा पूजा

बेंगलुरु, 10 अक्टूबर . अपनी भूमि से दूर बेंगलुरु में रहने वाले बिहार के लोग 1979 से बेंगलुरु में दुर्गा पूजा का आयोजन करते आ रहे हैं. पूजा पंडाल के जरिये बिहार के लोग दशहरा के पर्व को उत्सव के तौर पर मनाते हैं.

पूजा समिति पूजा के लिए मिथिलांचल की परंपरा का पालन करती है. बेंगलुरु के अलग-अलग इलाकों में रहने वाले बिहारी नवरात्रि के दौरान अपनी परंपरा के अनुसार मां दुर्गा की पूजा करते हैं. वहीं दक्षिण भारत में नवरात्रि पर्व का अपना एक अलग महत्व है.

पंडित राजगुरु ने जानकारी साझा करते हुए कहा कि, अपने आप में यह पर्व पवित्रता का प्रतीक है और वह पवित्रता, पूजा पद्धति ईश्वर के नजदीक ले जाने का एक माध्यम है. हम यहां पर पूजा मिथिला पद्धति से करते हैं. मिथिला का इतिहास वैदिक काल से रहा है और उस चीज को हम बरकरार रखे हैं. भले ही आज हम दक्षिण भारत में हैं, लेकिन वहां की पूजा पद्धति को मानते हैं. महाष्टमी पूजा के जरिये रात में जो बलिदान की प्रथा है वह केवल मिथिलांचल में होती है. दूसरी जगहों दिखाई नहीं देती है. उस चीज को यहां पर हम बरकरार रखे हुए हैं. मां भगवती की नौ दिन की पूजा है, जिससे एक सृष्टि का आरंभ होता है.

उदय कुमार का कहना है कि पूजा के माध्यम से हम लोग बिहार के लोगों को बहुत नजदीक से जोड़ पा रहे हैं. क्योंकि यहां आने के बाद हमारी संस्कृति और वहां की पूजा विधि छूटती जा रही थी, लेकिन बिहार भवन और बिहार सांस्कृतिक परिषद के माध्यम से हम लोग उस चीज को कर रहे हैं, जो उनका छूटा हुआ था. उस माध्यम से बिहारी लोग जुड़ रहे हैं. कभी वो लोग गांव जाकर पूजा में सम्मिलित होते थे. आज वह पूजा का स्वरूप उनको यहां मिल रहा है. उनकी इस कमी को हम लोग दूर कर रहे हैं.

एकेएस/एबीएम