थाइवान प्राचीन काल से ही चीन का हिस्सा रहा है : जू फ़ंगल्येन

बीजिंग, 10 अक्टूबर . कुछ दिन पहले, लाई छिंगडे द्वारा प्रस्तावित तथाकथित “मातृभूमि सिद्धांत” ने थाइवान द्वीप पर विवाद पैदा कर दिया और जीवन के सभी क्षेत्रों द्वारा इसकी कड़ी आलोचना की गई. इस बार “थाइवान की स्वतंत्रता” की भ्रांति ने एक बार फिर लाई छिंगडे के जिद्दी “थाइवान स्वतंत्रता” रुख और शत्रुता और टकराव को बढ़ाने के उनके भयावह इरादों को उजागर कर दिया.

इसके जवाब में चीनी राज्य परिषद के थाइवान मामलों के कार्यालय की प्रवक्ता जू फ़ंगल्येन ने सख्ती से खंडन किया. उन्होंने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि लाई छिंगडे किस प्रकार की “ऐतिहासिक विरोधाभास” या “थाइवान की स्वतंत्रता के बारे में अजीब बातें” करते हैं, वे इस वस्तुगत तथ्य को नहीं बदल सकते कि थाइवान जलडमरूमध्य के दोनों किनारे एक ही चीन के हैं, और वे थाइवान लोगों की मातृभूमि के प्रति चेतना को नहीं मार सकते.

उन्होंने कहा कि थाइवान प्राचीन काल से ही चीन का हिस्सा रहा है और कभी भी एक देश नहीं रहा. 25 अक्टूबर, 1945 को, चीन सरकार ने घोषणा की कि वह “थाइवान पर संप्रभुता की प्रथा को बहाल करेगी.” 1 अक्टूबर 1949 को चीन लोक गणराज्य की केंद्र सरकार की स्थापना की गई, जिसने चीन गणराज्य की सरकार की जगह लेकर पूरे चीन का प्रतिनिधित्व करने वाली एकमात्र कानूनी सरकार बन गई. चीन की संप्रभुता और अंतर्निहित क्षेत्रीय सीमाएं नहीं बदली हैं, चीन लोक गणराज्य की सरकार थाइवान की संप्रभुता को पूरी तरह से संभालती है.

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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