नई दिल्ली, 9 अक्टूबर . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए गुरुवार को लाओस के लिए रवाना होंगे. उन्हें वर्तमान आसियान अध्यक्ष सोनेक्से सिफानडोन ने आमंत्रित किया है. प्रधानमंत्री के वियनतियाने में शिखर सम्मेलन के दौरान कई राष्ट्राध्यक्षों के साथ द्विपक्षीय बैठकें करने की भी उम्मीद है.
उनकी दो दिवसीय लाओस यात्रा इस बात को रेखांकित करती है कि किस प्रकार दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों के संगठन (आसियान) के सदस्य देश भारत की एक्ट ईस्ट नीति के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं तथा नई दिल्ली के हिंद-प्रशांत विजन के प्रमुख साझेदार हैं, जिसे प्रधानमंत्री की क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास (सागर) पहल का प्रबल समर्थन प्राप्त है.
विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को एक बयान में कहा, “आसियान-भारत शिखर सम्मेलन हमारी व्यापक रणनीतिक साझेदारी के माध्यम से भारत-आसियान संबंधों की प्रगति की समीक्षा करेगा और सहयोग की भविष्य की दिशा तय करेगा. पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन, एक प्रमुख नेताओं के नेतृत्व वाला मंच है जो क्षेत्र में रणनीतिक विश्वास का माहौल बनाने में योगदान देता है, यह भारत सहित ईएएस भाग लेने वाले देशों के नेताओं को क्षेत्रीय महत्व के मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करने का अवसर प्रदान करता है.”
प्रधानमंत्री मोदी ने आसियान की केंद्रीयता और क्षेत्र पर आसियान के दृष्टिकोण का दृढ़ता से समर्थन किया है. पिछले 10 साल में भारत मानता रहा है कि एक मजबूत और एकीकृत आसियान हिंद-प्रशांत क्षेत्र की उभरती गतिशीलता में महत्वपूर्ण भूमिका रखता है. पिछले साल, प्रधानमंत्री मोदी ने नई दिल्ली द्वारा आयोजित महत्वपूर्ण जी-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन से ठीक तीन दिन पहले जकार्ता की यात्रा की थी.
सितंबर 2023 में 20वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और 18वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के लिए उनकी इंडोनेशिया यात्रा ने दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्र के देशों के साथ जुड़ाव को भारत द्वारा दिए जाने वाले महत्व और वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य में व्यापक हिंद-प्रशांत के लिए उसके दृष्टिकोण पर एक मजबूत संदेश दिया था.
जकार्ता में आसियान-भारत शिखर सम्मेलन 2022 में भारत-आसियान संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी में बदलने के बाद पहला शिखर सम्मेलन भी था और इसने सहयोग की भविष्य की दिशा को रेखांकित किया.
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आरके/एकेजे