हम बनते हैं, तो देश बनता है : मोहन भागवत

नागपुर, 9 अक्टूबर . आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को नागपुर में ‘स्वतंत्रता का स्वराभिषेक’ कार्यक्रम में शिरकत की. इस दौरान उन्होंने कार्यक्रम में अपने विचार साझा करते हुए कहा कि हमको अच्छा बनना है और अपने देश को भी अच्छा बनाना है. हम सबको जागना है और देश को भी जगाना है. स्वयं जागकर अब हमको अपने देश को जगाना है. यह हमारे सामने चुनौतियां हैं और उसी के लिए सभी को शिक्षा हासिल करनी है और देश को आगे लेकर जाना है.

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, “जीवन में जीत हार लगी रहती है, परंतु जीत हार का महत्व नहीं रहता है. जीवन को कैसे जिया जाए और किसलिए जिया जाए, ये महत्वपूर्ण होता है. 1857 में जो लड़े, उस समय स्वतंत्रता नहीं मिली, वह तो हार गए, मगर आज भी उनकी कीर्ति गाते हैं. 1857 में वह नहीं लड़ते, तो हम 1947 में स्वतंत्र नहीं होते, तब से जो प्रयास चले, यह उसी का परिणाम है.”

मोहन भागवत ने कहा कि आज इस कार्यक्रम में जिसे भी पुरस्कार मिला है. महत्वपूर्ण यह है कि हमें एक-दूसरे के साथ आपस में जुड़ना जरूरी है. दोस्ती जरूरी है. लेक‍िन दोस्ती स्वार्थ के लिए नहीं, बल्कि देश के हित में करें, इससे देश और दोस्‍ती करने वाले का नाम अमर हो जाता है. इसलिए यह प्रयास जारी रखना कि अगर देश को बड़ा करना है, तो हम सबको एक-दूसरे के साथ जुड़ना होगा.

उन्होंने कहा, “हम बनते हैं, तभी देश बनता है. अगर हमको अच्छा बनना है, तो देश को प्रथामकिता देनी होगी. हमारा जीवन उसी के लिए है और यही हमारे परिवार की सुरक्षा है.”

बता दें कि ‘स्वतंत्रता का स्वराभिषेक’ कार्यक्रम के तहत पुरस्कार बांटे गए.

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