श्रीनगर, 8 अक्टूबर . जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस का गठबंधन 49 सीटों पर जीत का परचम लहराने में सफल रहा. घाटी में विधानसभा की 90 सीटें हैं. इस लिहाज यह गठबंधन अब सत्ता की दहलीज पर दस्तक दे ही चुका है. उधर, भाजपा 29 सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल रही. यह आंकड़ा गठबंधन से कोसों दूर है, लेकिन पार्टी को इस बात का कोई मलाल नहीं है, बल्कि भाजपा के नेता इस बात पर खुशी जता रहे हैं कि 10 सालों तक सत्ता विरोधी लहर के बावजूद वो इतनी सीटें लाने में सफल रहे. भाजपा का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में घाटी में सफलतापूर्वक चुनाव हुए, जो इस बात का संकेत है कि घाटी में लोकतंत्र की जड़ें मजबूत हुई हैं.
इसी बीच, जम्मू-कश्मीर में जीत का परचम लहराने वाले भाजपा उम्मीदवारों ने अपनी बात रखी.
अखनूर विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी मोहन लाल ने कहा, “मैं यहां की जनता का बहुत धन्यवाद करता हूं. मैंने अखनूर की जनता के लिए जो भी संकल्प लिया है, उसे हर कीमत पर पूरा करूंगा. इस विधानसभा को मैं आदर्श विधानसभा बनाकर रहूंगा. मैं अखनूर को औद्योगिक और पर्यटन हब बनाने की दिशा में काम करूंगा. अखनूर में चौतरफा विकास की बयार बहे, यही मेरी कोशिश रहेगी.”
जम्मू नॉर्थ से भाजपा प्रत्याशी श्याम लाल शर्मा ने कहा, “हिंदुस्तान के लोकतंत्र और खासकर जम्मू-कश्मीर के लिए यह ऐतिहासिक जीत है. मेरे विधानसभा क्षेत्र में जो स्थानीय दुश्वारियां हैं, उसे दूर करने की दिशा में काम किया जाएगा, ताकि इस विधानसभा में सभी लोगों का विकास सुनिश्चित हो सके.”
उन्होंने कहा कि इस बात में कोई दो मत नहीं है कि जिसका नंबर ज्यादा होगा, घाटी में उसी की सरकार बनेगी. लोकतंत्र का यही नियम है. दरअसल, जम्मू-कश्मीर में किसकी सरकार बनेगी. इसी का वो जवाब दे रहे थे.
बता दें कि जम्मू-कश्मीर में दस साल बाद विधानसभा चुनाव हुए, वो भी ऐसे वक्त में, जब अनुच्छेद 370 को निरस्त हुए पांच साल से ज्यादा हो चुके हैं. कांग्रेस सहित अन्य दल लगातार अनुच्छेद 370 का विरोध कर रहे हैं. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने तो अपने मेनिफेस्टो में सत्ता में आने पर अनुच्छेद 370 को बहाल करने का भी वादा किया था. इसका भाजपा ने विरोध किया था. भाजपा का दावा है कि इस अनुच्छेद के हटाए जाने से घाटी में आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगी है और चौतरफा शांति की बयार है, लेकिन नेशनल कॉन्फ्रेंस सहित अन्य दल लगातार इन दावों को झुठलाते नजर आ रहे हैं. ऐसे में विधानसभा चुनाव के नतीजों पर न महज जम्मू-कश्मीर की जनता, बल्कि पूरे देश की निगाहें टिकी हुई थीं.
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