नई दिल्ली, 8 अक्टूबर . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सप्ताह लाओस यात्रा पर जाने वाले हैं. यह दौरा इस बात को रेखांकित करता है कि दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के सदस्य देश, भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ के एक महत्वपूर्ण स्तंभ हैं. आसियान सदस्य देश नई दिल्ली के हिंद-प्रशांत विजन के प्रमुख साझेदार हैं.
प्रधानमंत्री मोदी अपने लाओस समकक्ष सोनेक्से सिफानदोन, के निमंत्रण पर 21वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए 10-11 अक्टूबर को वियनतियाने में होंगे. सिफानदोन आसियान के वर्तमान अध्यक्ष हैं.
विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को एक बयान में कहा, “आसियान-भारत शिखर सम्मेलन हमारी व्यापक रणनीतिक साझेदारी के जरिए भारत-आसियान रिश्तों की प्रगति की समीक्षा करेगा और भविष्य में सहयोग की दिशा तय करेगा. पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन, प्रमुख नेताओं के नेतृत्व वाला एक मंच है, जो क्षेत्र में रणनीतिक विश्वास का माहौल बनाने में योगदान देता है, यह भारत सहित ईएएस ‘पार्टिसिपेटिंग देशों’ के नेताओं को क्षेत्रीय महत्व के मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करने का अवसर प्रदान करता है.”
यह महत्वपूर्ण यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भारत अपनी एक्ट ईस्ट नीति के एक दशक पूरे कर रहा है. प्रधानमंत्री मोदी ने आसियान की केंद्रीयता और क्षेत्र पर आसियान के दृष्टिकोण का दृढ़ता से समर्थन किया है, भारत ने पिछले 10 वर्षों में यह माना है कि एक मजबूत और एकीकृत आसियान इंडो-पैसिफिक की उभरती गतिशीलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
पिछले साल, प्रधानमंत्री मोदी ने नई दिल्ली द्वारा आयोजित महत्वपूर्ण जी-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन से ठीक तीन दिन पहले जकार्ता की यात्रा की थी.
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का मानना है कि आसियान के साथ भारत का जुड़ाव तीन लक्ष्यों से प्रेरित है. ये तीन लक्ष्य हैं भारत और आसियान के बीच संपर्क को बढ़ाना; आसियान संगठन को मजबूत करना; और समुद्री क्षेत्र में व्यावहारिक सहयोग का विस्तार करना.
दक्षिण चीन सागर में चीन के रणनीतिक विस्तार से चिंतित कई आसियान सदस्य देश भारत और समान विचारधारा वाले साझेदार देशों के साथ गहन रक्षा संबंध बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
जकार्ता में आसियान-भारत शिखर सम्मेलन के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने आसियान भागीदारों के साथ आसियान-भारत व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने तथा इसके भविष्य की दिशा तय करने पर व्यापक चर्चा की थी. पीएम मोदी ने हिंद-प्रशांत में आसियान की केंद्रीय भूमिका की भी पुष्टि की थी.
7 सितंबर, 2023 को जकार्ता में 20वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में अपने उद्घाटन भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “21वीं सदी एशिया की सदी है. यह हमारी सदी है. इसके लिए, कोविड के बाद नियम-आधारित विश्व व्यवस्था का निर्माण करना और मानव कल्याण के लिए सभी के द्वारा प्रयास करना जरूरी है. स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत की प्रगति और वैश्विक दक्षिण की आवाज को बुलंद करना सभी के साझा हित में है.”
18वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में उन्होंने कहा, “भारत का मानना है कि दक्षिण चीन सागर के लिए आचार संहिता प्रभावी और यूएनसीएलओएस के अनुरूप होनी चाहिए. इसके अतिरिक्त, इसमें उन देशों के हितों को भी ध्यान में रखना चाहिए जो सीधे चर्चाओं में शामिल नहीं हैं.”
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