पीएम मोदी या मोहन भागवत की बातों को विपक्ष को सुनना चाहिए : आचार्य प्रमोद कृष्णम

गाजियाबाद, 6 अक्टूबर . राजस्थान के बारां में कृषि उपज मंडी में आरएसएस स्वयंसेवकों की सभा को संबोधित करते हुए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि आचरण में अनुशासन, राज्य के प्रति कर्तव्य और समाज में लक्ष्योन्मुख होने का गुण होना जरूरी है. इसके साथ ही हमें एकजुट होना होगा, तभी हम सुरक्षित रह सकते हैं. इस पर आध्यात्मिक गुरु आचार्य प्रमोद कृष्णम ने रविवार को प्रतिक्रिया दी. उन्होंने इसे लेकर विपक्षी दलों पर कटाक्ष भी किया.

उन्होंने कहा कि समाज, देश, जनता एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं. मनुष्य को अपने जीवन में अच्छा आचरण करना चाहिए, सत्य बोलना चाहिए. हिंसा नहीं करनी चाहिए, घृणा नहीं करनी चाहिए. राष्ट्र के प्रति समर्पित होना चाहिए. समाज की सेवा करनी चाहिए, यह अच्छी बात है. लेकिन सवाल यह है कि अब चूंकि मोहन भागवत ने यह बात कही है, तो विपक्ष इस पर निशाना साधेगा. विपक्ष बौखला गया है. प्रमोद कृष्‍णम ने कहा, अगर मोहन भागवत या पीएम मोदी कुछ कह रहे हैं, तो वह अपने अनुभव के हिसाब से बोल रहे हैं, आत्मनिरीक्षण के आधार पर बोल रहे हैं. विपक्ष बिना सोचे समझे उनकी बातों का विरोध करता है. विपक्ष को इस पर विचार करना चाहिए. आखिर विपक्ष को यह तय करना होगा कि जो व्यक्ति या संगठन राष्ट्रहित में है, वह विपक्ष को अपना दुश्मन क्यों नजर आता है. भारत माता की सभी संतानों को मिलजुल कर रहना चाहिए, कोई यह बात कहता है, तो उसका स्वागत होना चाहिए, उसे आश्रय देना चाहिए, यही भारत देश के हित में है.

उन्होंने कहा कि भारत बहुत बड़ा देश है. भारत में जो भी पैदा हुआ है, वह भारत माता का बेटा है. भारत माता के सभी बेटे-बेटियां एक समान हैं. अगर मोहन भागवत कहते हैं कि सभी को एक और संगठित रहना है, तो उन्होंने कौन सा अपराध कर दिया ? प्रमोद कृष्‍णम ने कहा, जब-जब हमारा बंटवारा हुआ है, हमें नुकसान ही हुआ है. 1947 में जब बंटवारा हुआ, तो पाकिस्तान बन गया. जब हम बंटेंगे, तो कम होते जाएंगे. उन्‍होंने कहा, जहां तक ​​सनातन का सवाल है, सनातन की उत्पत्ति भारत से हुई है. सनातन और भारत अलग नहीं हैं. जब तक भारत है, तब तक सनातन है. जब तक सनातन है, तब तक भारत है. भारत और सनातन एक दूसरे के पूरक हैं. भारत को हिंदुस्तान क्यों कहा जाता है? हिंदुस्तान शब्द का विश्लेषण करें. हिंदुस्तान में स्तान क्या है? यह स्तान नहीं यह स्थान है. यह तो हिंदुओं का स्थान है.

बता दें कि अपने संबोधन के दौरान मोहन भागवत ने कहा कि हिंदू सबको अपना मानते हैं और सबको स्वीकार करते हैं. हिंदू कहते हैं कि हम सही हैं और आप भी अपनी जगह सही हैं. उन्होंने कहा कि आरएसएस का काम मशीनी नहीं, बल्कि विचारों पर आधारित है और दुनिया में ऐसा कोई काम नहीं है, जिसकी तुलना आरएसएस के काम से की जा सके.

आरके/