21 साल पहले 100 अरब डॉलर से अब तक कैसा रहा विदेशी मुद्रा भंडार का सफर

नई दिल्ली, 5 अक्टूबर . देश का विदेशी मुद्रा भंडार गत 27 सितंबर को समाप्त सप्ताह में पहली बार 700 अरब डॉलर के पार पहुंच गया. चीन, जापान और स्विट्जरलैंड के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश है.

देश के विदेशी मुद्रा भंडार के सफर को देखें तो 15 फरवरी 2002 को यह 50 अरब डॉलर था. वहां से 100 अरब डॉलर तक पहुंचने में करीब 22 महीने का समय लगा और 12 दिसंबर 2003 को पहली बार विदेशी मुद्रा का हमारा भंडार सेंचुरी लगाने में कामयाब रहा.

इसके बाद फरवरी 2008 तक इसमें लगातार बढ़ोतरी होती रही. विदेशी मुद्रा भंडार 31 मार्च 2006 को 150 अरब डॉलर, 6 अप्रैल 2007 को 200 अरब डॉलर, 5 अक्टूबर 2007 को 250 अरब डॉलर और 29 फरवरी 2008 को 300 अरब डॉलर को छूने में कामयाब रहा.

साल 2008 में आई वैश्विक आर्थिक मंदी का प्रभाव देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर भी पड़ा और अगले 50 अरब डॉलर जोड़ने में सात साल तीन महीने का समय लग गया. इस बीच नवंबर 2008 में इसका स्तर घटकर 245.80 अरब डॉलर रह गया. दोबारा 300 अरब डॉलर का स्तर छूने में इसे सवा दो साल का समय लगा और 18 फरवरी 2011 को यह 300.63 अरब डॉलर पर पहुंचा. हालांकि, इसके बाद फिर इसमें गिरावट आई और 28 मार्च 2014 को यह एक बार फिर 303.67 अरब डॉलर पर पहुंचने में कामयाब रहा.

विदेशी मुद्रा भंडार 1 मई 2015 को पहली बार 350 अरब डॉलर पर पहुंचा. इसके बाद कोरोना काल तक इसमें लगातार तेजी देखी गई. यह 8 सितंबर 2017 को 400 अरब डॉलर पर, 29 नवंबर 2019 को 450 अरब डॉलर पर और 5 जून 2020 को 500 अरब डॉलर पर पहुंच गया.

महज चार महीने बाद 9 अक्टूबर 2020 को विदेशी मुद्रा भंडार 550 अरब डॉलर पर और 4 जून 2021 को 600 अरब डॉलर पर पहुंच गया. हालांकि, कोरोना के कारण अगले पड़ाव के लिए एक बार फिर तीन साल का लंबा इंतजार करना पड़ा.

इस बीच 21 अक्टूबर 2022 तक विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 524.52 अरब डॉलर पर आ गया था. यह 14 जुलाई 2023 को दोबारा 600 अरब डॉलर के पार पहुंचा. इस साल 31 मई को इसने पहली बार 650 अरब डॉलर पर पहुंचने का मुकाम हासिल किया और 27 सितंबर 2024 को 704.88 अरब डॉलर हो गया.

खास बात यह है कि लगातार सातवें सप्ताह विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा है. इन सात सप्ताह में इसमें 34.766 अरब डॉलर की वृद्धि दर्ज की गई है. मौजूदा भू-राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए भारत विदेशी मुद्रा का अपना भंडार लगातार मजबूत कर रहा है.

खास बात यह है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) फॉरेन करेंसी एसेट्स के साथ ही सोने का भंडार बढ़ाने पर भी ध्यान दे रहा है. हालांकि, इसमें कुछ योगदान सोने की बढ़ती कीमतों का भी है. पिछले छह महीने में देश के स्वर्ण भंडार का मूल्य 51 अरब डॉलर से बढ़कर 65 अरब डॉलर हो चुका है.

विदेशी मुद्राओं और सोने का मजबूत भंडार देश को आयात में अधिक सक्षम बनाता है और दुनिया में युद्ध जैसी परिस्थितियों में इस्तेमाल के लिए अधिक विकल्प प्रदान करता है. साथ ही रुपये पर अचानक पड़ने वाले किसी भी दबाव की स्थिति में भारतीय मुद्रा को तेज गिरावट से बचाने के लिए आरबीआई के पास ज्यादा गुंजाइश होती है.

एकेजे/एबीएम