नई दिल्ली, 4अक्टूबर . एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह के मुताबिक पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों (भारत व चीन) के बीच अभी भी तनाव है.
गौरतलब है कि चीन अपनी सीमा से सटे इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर लगातार बढ़ा रहा है. भारत के सामने चीन द्वारा की जा रही तैयारियों से बराबरी करने की चुनौती है.
एयर फोर्स चीफ का कहना है कि हम अपने क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर कर रहे हैं. पूर्वी लद्दाख में ज्यादा एडवांस लैंडिंग ग्राउंड और नए एयरबेस बनाए जा रहे हैं. उन्होंने बालाकोट एयर स्ट्राइक का हवाला देते हुए कहा कि भारतीय वायु सेना किसी भी मिशन को अंजाम देने के लिए पूर्ण रूप से सक्षम है.
एयर फोर्स चीफ ने स्वदेशी हथियार प्रणाली को काफी महत्वपूर्ण बताया है. उन्होंने कहा कि भारतीय वायु सेना में स्वदेशी हथियार प्रणाली को लगातार शामिल किया जा रहा है और इस पर तेजी से काम कर रहे हैं.
उन्होंने शुक्रवार को वायु सेना की तैयारियों के विषय में बात करते हुए पूर्वी लद्दाख के न्योमा में, बनाई जा रही एयरफील्ड का जिक्र किया.
न्योमा में बनाई जा रही यह एयरफील्ड विश्व का सबसे ऊंचा लड़ाकू हवाई क्षेत्र होगा. महत्वपूर्ण बात यह है कि यह एयरफील्ड चीन सीमा से लगभग 35 किलोमीटर दूर है. इसे लद्दाख में अग्रिम चौकियों पर तैनात सैनिकों के लिए स्टेजिंग ग्राउंड के रूप में विकसित किया जा रहा है. एयर डिफेंस व रक्षा संबंधी तैयारी के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि ‘एस-400 मिसाइल प्रणालियों’ की 3 यूनिट्स की सप्लाई हो चुकी है. रूस अगले साल तक शेष 2 यूनिट्स देगा.
वायु सेना की क्षमता को लेकर एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने कहा कि हमारे पास विदेशी जमीन पर भी अपने दुश्मन से निपटने की पूरी क्षमता है. हमने बालाकोट एयर स्ट्राइक के जरिए अपनी इस क्षमता को दिखाया भी है.
अग्निवीर योजना के पक्ष में बोलते हुए वायुसेना प्रमुख ने कहा कि हमसे पूछा गया कि क्या 25 प्रतिशत से अधिक अग्निवीरों को रखा जा सकता है. एयर फोर्स ने इस पर सकारात्मक उत्तर दिया है. हालांकि, इस पर निर्णय सरकार को लेना है.
उन्होंने कहा कि भारत सतह से हवा में लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम ‘कुश’ जैसे हथियारों को शामिल करने पर गंभीरता से विचार कर रहा है. इसके अलावा बड़ी तादाद में आकाश मिसाइलों को भी शामिल किया गया है.
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जीसीबी/एबीएम