शिलांग, 3 अक्टूबर . मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने गुरुवार को स्कूलों में बच्चों के कम अंक पाने पर चिंता जताई. उन्होंने इससे निपटने के लिए एक विशेष पहल की भी शुरुआत की.
सीएम-इम्पैक्ट कार्यक्रम के रूप में शुरू किए गए इस कार्यक्रम के बारे में मुख्यमंत्री संगमा ने कहा, “हमें व्यवस्थित तरीके से समस्या को सुलझाना होगा और एक लक्ष्य के साथ आगे बढ़ना होगा. हमारे पास शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए एक दीर्घकालिक योजना है. इसका उद्देश्य गुणवत्ता के साथ-साथ उत्तीर्ण प्रतिशत में भी सुधार करना है.”
उल्लेखनीय है कि मेघालय में सेकेंडरी स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट (एसएसएलसी) परीक्षा में पास होने वाले छात्रों का प्रतिशत चिंताजनक रूप से कम रहा है. पिछले कई सालों से यह संख्या 53 प्रतिशत के आसपास बनी हुई है. राज्य के हर जिले में यह प्रतिशत अलग-अलग है. कुछ जिलों में तो पास होने की दर 25 प्रतिशत से भी कम है.
पिछले तीन वर्षों से लगातार 36 स्कूलों में शून्य प्रतिशत उत्तीर्णता दर्ज की गई है. जबकि वर्ष 2024 में 124 स्कूलों में शून्य प्रतिशत उत्तीर्णता दर्ज की गई है. मुख्यमंत्री ने शिक्षकों से कड़ी मेहनत करने और उत्तीर्णता प्रतिशत में सुधार के लिए इन समस्याओं को हल करने का आग्रह किया.
उन्होंने शिक्षकों से कहा कि छात्रों को वर्गीकृत कर उनकी कमजोरियों की पहचान करें और उनके अंकों को बेहतर बनाने पर काम करें. उन्होंने शिक्षकों को छात्रों को परीक्षा कोड को क्रैक करने के लिए तैयार करने की सलाह दी.
सीएम संगमा ने कहा, “हर परीक्षा का एक विशेष प्रारूप और कोड होता है. एक शिक्षक के रूप में, हमें छात्रों को पैटर्न की पहचान करने और उसके अनुसार तैयारी करने के लिए तैयार करना चाहिए.”
गौरतलब है कि सीएम-इम्पैक्ट कार्यक्रम के तहत शिक्षा विभाग छात्रों और शिक्षकों के लिए एक गाइड बुक उपलब्ध कराएगा, जो नियमित अपडेट के साथ ऐप के रूप में भी उपलब्ध होगी. इसके अलावा, बेहतर पहुंच के लिए ब्लॉक स्तर पर इंट्रानेट कनेक्टिविटी भी उपलब्ध कराई जाएगी.
शिक्षकों को गाइडबुक वितरित करते हुए सीएम संगमा ने कहा कि समस्या के समाधान के लिए समय पर हस्तक्षेप की योजना बनाने और चर्चा करने के लिए विभिन्न हितधारकों के लिए अक्सर मिलना महत्वपूर्ण है.
इस बीच, मुख्यमंत्री संगमा ने कहा कि सरकार ने माध्यमिक परीक्षा के परिणाम घोषित होने के दो महीने के भीतर पूरक परीक्षाएं आयोजित करने का निर्णय लिया है, इससे छात्रों को एक साल गंवाए बिना अपनी परीक्षाएं पास करने का अवसर मिलेगा.
वहीं मेघालय बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन (एमबीओएसई) छात्रों को अनुत्तीर्ण विषयों में पुनः उपस्थित होने या अपने अंकों में सुधार करने का अवसर देने के लिए उसी शैक्षणिक वर्ष में पूरक परीक्षाएं आयोजित करेगा.
राज्य में खराब शिक्षा बुनियादी ढांचे और अन्य चुनौतियों के बारे में बात करते हुए रक्कम संगमा ने शिक्षकों से अपनी प्रतिबद्धता से समझौता न करने और छात्रों को सर्वोत्तम शिक्षा प्रदान करने का आग्रह किया.
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आरके/