महिलाओं के जीवन में ‘गोवर्धन जैविक योजना’ से आया परिवर्तन, गोबर गैस प्लांट ने दिलाई धुएं से निजात

बोधगया, 1 अक्टूबर . देश को स्वच्छ बनाने और महिलाओं की जिंदगी को धुआं मुक्त बनाने के लिए पीएम मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने 10 साल के दौरान कई अहम योजनाएं चलाई हैं. इन योजनाओं से महिलाओं की जिंदगी में बड़ा बदलाव आया है. इसका जीता जागता उदाहरण बिहार के बोधगया में देखने को मिला. केंद्र सरकार की गोवर्धन योजना की वजह से ग्रामीण महिलाओं को धुएं से निजात मिल पाई है.

दरअसल, बोधगया के निरंजना नदी के किनारे स्थित बतसपुर गांव की महिलाएं केंद्र सरकार की गोवर्धन जैविक योजना के तहत गोबर गैस प्लांट से चूल्हे को जला रही हैं.

महिला अनीता देवी ने कहा कि हमें इस योजना के बारे में गांव के लोगों के माध्यम से जानकारी मिली. इसके बाद हमने भी इस योजना का लाभ उठाया और आज दोनों तरह की गैस का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन गोबर गैस से खाना जल्दी बन पाता है और समय की बचत भी होती है. इस गैस को पाने के लिए हमें गोबर देना होता है.

वहीं, अंजू देवी ने कहा, “घरेलू गैस की तुलना में गोबर गैस सस्ता पड़ता है. गोबर गैस पर जल्दी खाना बन पाता है, मगर घरेलू गैस पर खाना बनाने में समय लगता है. इस गैस को लेने के लिए हमें गोबर देना पड़ता है. इस योजना के लिए हम केंद्र सरकार को धन्यवाद देते हैं, जिनकी वजह से धुएं से छुटकारा मिल पाया है.”

ललिता देवी ने बताया कि यह प्रोजेक्ट तीन साल पहले शुरू हुआ था. पहले इसे मुखिया चलाते थे, बाद में हमें लोगों को भी इस योजना से जोड़ा गया. मैं पिछले दो महीने से इस योजना काे घर-घर तक पहुंचाने का काम कर रही हूं. अभी लगभग 20 घरों में गोबर गैस के कनेक्शन दिए गए हैं. साथ ही इसके बदले में हर घर से गोबर लिया जाता है.

उन्होंने कहा कि हम गांव में जाकर लोगों को बताते हैं कि गोबर गैस से क्या फायदा होता है. पहले लोग गोबर को खेत में फेंक दिया करते थे, लेकिन हम लोग सुबह-शाम जाकर गोबर लाते हैं और प्लांट में डालकर गैस तैयार किया जाता है. इस योजना के लिए हम केंद्र सरकार को धन्यवाद देते हैं.

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